स्त्रियों तुम अभी सुरक्षित अनुभव करती हो किन्तु एक वर्ष बाद तुम पर विपत्ति आने वाली है। क्यों क्योंकि तुम अगले वर्ष अँगूर इकट्ठे नहीं करोगी—इकट्ठे करने के लिये अँगूर होंगे ही नहीं।
अंगूर के बगीचे में आनन्द नहीं होगा और न ही वहाँ गीत गाये जायेंगे। मैं कटनी के समय की सारी खुशी समाप्त कर दूँगा। दाखमधु बनने के लिये अंगूर तो तैयार है, किन्तु वे सब नष्ट हो जायेंगे।
आज इस धरती पर हर खेत में एक हजार अँगूर की बेलें हैं। अँगूर के हर बगीचे की कीमत एक हज़ार चाँदी के सिक्कों के बराबर हैं। किन्तु इन खेतों मे खरपतवार और काँटे भर जायेंगे।
“‘मैं उनके फल और फसलें ले लूँगा जिससे उनके यहाँ कोई पकी फसल नहीं होगी। अंगूर की बेलों में कोई अंगूर नहीं होंगे। अंजीर के पेड़ों पर कोई अंजीर नहीं होगा। यहाँ तक कि पत्तियाँ सूखेंगी और मर जाएंगी। मैं उन चीज़ों को ले लूँगा जिन्हें मैंने उन्हें दे दी थी।’”
उसकी अँगूर की बेलों और अंजीर के वृक्षों को मैं नष्ट कर दूँगा। उसने कहा था, ‘ये वस्तुएँ मेरे प्रेमियों ने मुझे दी थीं।’ किन्तु अब मैं उसके बगीचों को बदल डालूँगा। वे किसी उजड़े जंगल जैसा हो जायेंगे। उन वृक्षों से जंगली जानवर आकर अपनी भूख मिटाया करेंगे।
इसी प्रकार, इस्राएल के लोग बहुत दिनों तक बिना किसी राजा या मुखिया के रहेंगे। वे बिना किसी बलिदान अथवा बिना किसी स्मृति पत्थर के रहेंगे। उनके पास कोई याजकों की पोशाक नहीं होगी या उनके कोई गृह देवता नहीं होंगे।
अंगूर की बेलें सूख गयी हैं और अंजीर के पेड़ मुरझा रहे हैं। अनार के पेड़ खजूर के पेड़ और सेब के पेड़—बगीचे के ये सभी पेड़ सूख गये हैं। लोगों के बीच में प्रसन्नता मर गयी है।
ओ मतवालों, जागो, उठो और रोओ! ओ सभी लोगों दाखमधु पीने वालों, विलाप करो। क्योंकि तुम्हारी मधुर दाखमधु अब समाप्त हो चुकी है। अब तुम, उसका नया स्वाद नहीं पाओगे।
वे “टिड्डे” मेरे बागों के अंगूर चट कर जायेंगे! वे मेरे अंजीर के पेड़ नष्ट कर देंगे। वे मेरे पेड़ों को छाल तक चट कर जायेंगे। उनकी टहनियाँ पीली पड़ जायेंगी और वे पेड़ सूख जायेंगे।
अंजीर के वृक्ष चाहे अंजीर न उपजायें, अंगूर की बेलों पर चाहे अंगूर न लगें, वृक्षों के ऊपर चाहे जैतून न मिलें और चाहे ये खेत अन्न पैदा न करें, बाड़ों में चाहे एक भी भेड़ न रहे और पशुशाला पशुधन से खाली हों।
तब अन्य लोग उनकी सारी सम्पत्ति लेंगे तथा उनके घरों को नष्ट करेंगे। उस समय जिन लोगों ने घर बनाए होंगे, वे उनमें नहीं रहेंगे और जिन लोगों ने अंगूर की बेलें खेतों में रोपी होंगी, वे उन अंगूरों का दाखमधु नहीं पीएंगे, उन चीज़ों को अन्य लोग लेंगे।”