नगर द्वार के निकट सभा स्थलों में रोना बिलखना और दुःख ही फैला होगा। यरूशलेम उस स्त्री के समान हर वस्तु से वंचित हो जायेगी जिसका सब कुछ चोर और लुटेरे लूट गये हों। वह धरती पर बैठेगी और बिलखेगी।
फिर वे तीनों मित्र अय्यूब के साथ सात दिन और सात रात तक भूमि पर बैठे रहे। अय्यूब से किसी ने एक शब्द तक नहीं कहा क्योंकि वे देख रहे थे कि अय्यूब भयानक पीड़ा में था।
हे नगर द्वार के वासियों, रोओ! नगर में रहने वाले तुम लोग, चीखो—चिल्लाओ! पलिश्ती के तुम सब लोग भयभीत होंगे। तुम्हारा साहस गर्म मोम की भाँति पिघल कर ढल जायेगा। उत्तर दिशा की ओर देखो! वहाँ धूल का एक बादल है! देखो, अश्शूर से एक सेना आ रही है! उस सेना के सभी लोग बलशाली हैं!
लोग इस प्रमुख नगर को छोड़ जायेंगे। यह महल और ये मिनारें वीरान छोड़ दिये जायेंगे। वे जानवरों की माँद जैसे हो जाएँगे। नगर में जंगली गधे विहार करेंगे। वहाँ भेड़े घास चरती फिरेंगी।
धरती बीमार है और मर रही है। लबानोन मर रहा है और शारोन की घाटी सूखी और उजाड़ है। बाशान और कर्मेल जो कभी एक सुन्दर वृक्ष के समान विकसित हो रहे थे, अब उन वृक्षों का विकास रुक गया है।
मैंने फिर पूछा, “स्वामी, मैं ऐसा कब तक करता रहूँ” यहोवा ने उत्तर दिया, “तू तब तक ऐसा करता रह, जब तक नगर उजड़ न जायें और लोग नष्ट न हो जायें। तू तब तक ऐसा करता रह जब तक सभी घर खाली न हो जायें। ऐसा तब तक करता रह जब तक धरती नष्ट होकर उजड़ न जायें।”
“यहूदा राष्ट्र उन लोगों के लिये रो रहा है जो मर गये हैं। यहूदा के नगर के लोग दुर्बल, और दुर्बल होते जा रहे हैं। वे लोग भूमि पर लेट कर शोक मनाते हैं। यरूशलेम नगर से एक चीख परमेश्वर के पास पहुँच रही है।
अनेक स्त्रियाँ अपने पतियों को खो देंगी। सागर के बालू से भी अधिक वहाँ विधवायें होंगी। मैं एक विनाशक को दोपहरी में लाऊँगा। विनाशक यहूदा के युवकों की माताओं पर आक्रमण करेगा। मैं यहूदा के लोगों को पीड़ा और भय दूँगा। मैं इसे अतिशीघ्रता से घटित कराऊँगा।
एक समय वह था जब यरूशलेम में लोगों की भीड़ थी। किन्तु आज वही नगरी उजाड़ पड़ी हुई हैं! एक समय वह था जब देशों के मध्य यरूशलेम महान नगरी थी! किन्तु आज वही ऐसी हो गयी है जैसी कोई विधवा होती है! वह समय था जब नगरियों के बीच वह एक राजकुमारी सी दिखती थी। किन्तु आज वही नगरी दासी बना दी गयी है।
सिय्योन की राहें बहुत दु:ख से भरी हैं। वे बहुत दु:खी हैं क्योंकि अब उत्सव के दिनों के हेतु कोई भी व्यक्ति सिय्योन पर नहीं जाता है। सिय्योन के सारे द्वार नष्ट कर दिये गये है। सिय्योन के सब याजक दहाड़ें मारते हैं। सिय्योन की सभी युवा स्त्रियाँ उससे छीन ली गयी हैं और यह सब कुछ सिय्योन का गहरा दु:ख है।
सिय्योन के बुजुर्ग अब धरती पर बैठते हैं। वे धरती पर बैठते हैं और चुप रहते है। अपने माथों पर धूल मलते हैं और शोक वस्त्र पहनते हैं। यरूशलेम की युवतियाँ दु:ख में अपना माथा धरती पर नवाती हैं।
उसने सिय्योन की पुत्री का परकोटा नष्ट करना सोचा है। उसने किसी नापने की डोरी से उस पर निशान डाला था। उसने स्वयं को विनाश से रोका नहीं। इसलिये उसने दु:ख में भर कर के बाहरी फसीलों को और दूसरे नगर के परकोटों को रूला दिया था। वे दोनों ही साथ—साथ व्यर्थ हो गयीं।
तब समुद्र तट के देशों के सभी प्रमुख अपने सिंहासनों से उतरेंगे और अपना दु:ख प्रकट करेंगे। वे अपनी विशेष पोशाक उतारेंगे। वे अपने सुन्दर वस्त्रों को उतारेंगे। तब वे अपने काँपने के वस्त्र (भय) पहनेंगे। वे भूमि पर बैठेंगे और भय से काँपेंगे। वे इस पर शोकग्रस्त होंगे कि तुम इतने शीघ्र कैसे नष्ट हो गए।
वे तुझे धूल में मिला देंगे-तुझे और तेरे भीतर रहने वाले तेरे बच्चों को। तेरी चारदीवारी के भीतर वे एक पत्थर पर दूसरा पत्थर नहीं रहने देंगे। क्योंकि जब परमेश्वर तेरे पास आया, तूने उस घड़ी को नहीं पहचाना।”