“वह समय ऐसा होगा जैसे रपाईम घाटी में फसल काटने के समय होता है। मजदूर उन पौधों को इकट्ठा करते हैं जो खेत में उपजते हैं। फिर वे उन पौधों की बालों को काटते हैं और उनसे अनाज के दाने निकालते हैं।
एक दिन तुम अपनी अँगूर की उन बेलों को रोपोगे और उनकी बढ़वार का जतन करोगे। अगले दिन, वे पौधे बढ़ने भी लगेंगे किन्तु फसल उतारने के समय जब तुम उन बेलों के फल इकट्ठे करने जाओगे तब देखोगे कि सब कुछ सूख चुका है। एक बीमारी सभी पौधों का अंत कर देगी।
इस्राएल के लोगों का परमेश्वर सर्वशक्तिमान यहोवा कहता है: “बाबुल नगर एक खलिहान सा है। फसल कटने के समय भूसे से अच्छा अन्न अलग करने के लिये लोग उंठल को पीटते हैं और बाबुल को पीटने का समय शीघ्र आ रहा है।
यिर्मयाह कहो, “जो यहोवा कहता है, ‘वह यह है: मनुष्यों के शव खेतों में गोबर से पड़े रहेंगे। उनके शव जमीन पर उस फसल से पड़े रहेंगे जिन्हें किसान ने काट डाला है। किन्तु उनको इकट्ठा करने वाला कोई नहीं होगा।’”
तुम हँसुआ ले आओ, क्योंकि पकी फसल खड़ी है। आओ, तुम अंगूर रौंदो क्योंकि अंगूर का गरठ भरा हुआ है। घड़े भर जायेंगे और वे बाहर उफनेंगे क्योंकि उनका पाप बहुत बड़ा है।
जब तक फसल पके दोनों को साथ-साथ बढने दो, फिर कटाई के समय में फसल काटने वालों से कहूँगा कि पहले खरपतवार की पुलियाँ बना कर उन्हें जला दो, और फिर गेहूँ को बटोर कर मेरे खते में रख दो।’”
तब यह सीमा यबूसी नगर की दक्षिण की ओर से बेन हिन्नोम घाटी से होकर गई थी। उस यबूसी नगर को (यरूशलेम) कहा जाता था। (उस स्थान पर सीमा हिन्नोम घाटी की उत्तरी छोर पर थी।)
तब सीमा हिन्नोम की घाटी के निकट की पहाड़ी की तलहटी में उतरी। यह रपाईम घाटी का उत्तरी छोर था। यह सीमा यबूसी नगर के ठीक दक्षिण हिन्नोम घाटी में चलती चली गई। तब सीमा एनरोगेल तक चली गई।