बचपन से ही अपने बनाने वाले का स्मरण कर। जब तुम बुढ़े होगे तो सूर्य चन्द्रमा और सितारों की रोशनी तुम्हें अंधेरी लगेगीं। तुम्हारा जीवन विपत्तयों से भर जाएगा। ये विपत्तियाँ उन बादलों की तरह ही होंगीं जो आकाश में वर्षा करते हैं और फिर कभी नहीं छँटते।
यरूशलेम में सिय्योन के पहाड़ पर यहोवा राजा के रूप में राज्य करेगा। अग्रजों के सामने उसकी महिमा होगी। उसकी महिमा इतनी भव्य होगी कि चाँद घबरा जायेगा, सूरज लज्जित होगा।
“यहोवा कहता है, हे बाबुल, तू बैठ जा और कुछ भी मत कह। बाबुल की पुत्री, चली जा अन्धेरे में। क्यों? क्योंकि अब तू और अधिक ‘राज्यों की रानी’ नहीं कहलायेगी।
सो, उस दिन वह “सिंह” समुद्र की तरंगों के समान दहाड़े मारेगा और बंदी बनाये गये लोग धरती ताकते रह जायेंगे, और फिर वहाँ बस अन्धेरा और दुःख ही रह जाएगा। इस घने बादल में समूचा प्रकाश अंधेरे में बदल जाएगा।
वह एक बहुत अधिक विशेष दिन होगा। उस दिन प्रकाश, शीत और तुषार कुछ नहीं होगा। केवल यहोवा ही जानता हैं कि यह कैसे होगा, किन्तु कोई दिन—रात नहीं होंगे। तब जब सामान्य रूप से अंधेरा आएगा, तो उस समय उजाला भी होगा।
“उन दिनों जो मुसीबत पड़ेगी उसके तुरंत बाद: ‘सूरज काला पड़ जायेगा, चाँद से उसकी चाँदनी नहीं छिटकेगी आसमान से तारे गिरने लगेंगे और आकाश में महाशक्तियाँ झकझोर दी जायेंगी।’
जब चौथे स्वर्गदूत ने तूरही बजाई तो एक तिहाई सूर्य, और साथ में ही एक तिहाई चन्द्रमा और एक तिहाई तारों पर विपत्ति आई। सो उनका एक तिहाई काला पड़ गया। परिणामस्वरूप एक तिहाई दिन तथा उसी प्रकार एक तिहाई रात अन्धेरे में डूब गए।