यहोवा अपने स्थान को तजेगा और वह संसार के लोगों के पापों का न्याय करेगा। उन लोगों के खून को धरती दिखायेगी जिनको मारा गया था। धरती मरे हुए लोगों को और अधिक ढके नहीं रहेगी।
मैं कौन हूँ मैं वही हूँ जिसने पर्वतों को बनाया। मैंने तुम्हारा प्राण बनाया। मैंने लोगों को अपने विचार बनाए। मैं ही सुबह को शाम में बदलता हूँ। मैं पृथ्वी के ऊपर के पर्वतों पर चलता हूँ। मैं कौन हूँ मेरा नाम यहोवा, सेनाओं का परमेश्वर है।
मेरे स्वामी सर्वशक्तिमान यहोवा, उस प्रदेश को छुएगा और वह पिघल जाएगा तब उस देश के सभी निवासी मृतको के लिये रोएंगे। यह प्रदेश मिस्र की नील नदी की तरह ऊपर उठेगा और नीचे गिरेगा।
उस समय, वह जैतुन के पर्वत पर खड़े होंगा। वह पहाड़ी जो यरूशलेम के पूर्व है। अंजीर का पर्वत फट पड़ेगा। पर्वत एक भाग उत्तर को जाएगा दसरा भाग दक्षिण को। एक गहरी घाटी पूर्व से पश्चिम तक उभर आएगी।
यहोवा ने चढ़ाया याकूब को पृथ्वी के ऊंचे स्थानों पर, याकूब ने खेतों की फसलें खायीं, यहोवा ने याकूब को पुष्ट किया चट्टानों के मधु से, दिया तेल उसको वज्र—चट्टानों से,
इस्राएलियो, तुम आशीषित हो यहोवा रक्षित राष्ट्र तुम, न कोई तुम सम अन्य राष्ट्र। यहोवा है तलवार विजय तुम्हारी करने वाली। तेरे शत्रु सभी तुझसे डरेगें, और तुम रौंद दोगे उनके झूठे देवों की जगहों को।”