फिर दिव्य संदेश का प्रचार करने वाले प्रेरितों ने यीशु के पास इकट्ठे होकर जो कुछ उन्होंने किया था और सिखाया था, सब उसे बताया।
नौकर ने इसहाक को वे सभी बातें बताईं जो हो चुकी थीं।
उन बारह प्रेरितों के नाम ये हैं: सबसे पहला शमौन, (जो पतरस कहलाया), और उसका भाई अंद्रियास, जब्दी का बेटा याकूब और उसका भाई यूहन्ना,
जिनमें से उसने बारह को चुना और उन्हें प्रेरित की पदवी दी। उसने उन्हें चुना ताकि वे उसके साथ रहें और वह उन्हें उपदेश प्रचार के लिये भेजे।
जब यूहन्ना के शिष्यों ने इस विषय में सुना तो वे आकर उसका शव ले गये और उसे एक कब्र में रख दिया।
फिर वे बहत्तर आनन्द के साथ वापस लौटे और बोले, “हे प्रभु, दुष्टात्माएँ तक तेरे नाम में हमारी आज्ञा मानती हैं!”
इस पर शिष्यों ने प्रभु से कहा, “हमारे विश्वास की बढ़ोतरी करा।”
फिर वह घड़ी आय़ी जब यीशु अपने शिष्यों के साथ भोजन पर बैठा।
ये स्त्रियाँ थीं मरियम-मग्दलीनी, योअन्ना और याकूब की माता, मरियम। वे तथा उनके साथ की दूसरी स्त्रियाँ इन बातों को प्रेरितों से कहीं।
फिर जब भोर हुई तो उसने अपने अनुयायियों को पास बुलाया। उनमें से उसने बारह को चुना जिन्हें उसने “प्रेरित” नाम दिया:
फिर जब प्रेरित लौट कर आये तो उन्होंने जो कुछ किया था, सब यीशु को बताया। सो वह उन्हें वहाँ से अपने साथ लेकर चुपचाप बैतसैदा नामक नगर को चला गया।
फिर उन्होंने उनके लिये पर्चियाँ डाली और पर्ची मत्तियाह के नाम की निकली। इस तरह वह ग्यारह प्रेरितों के दल में सम्मिलित कर लिया गया।