कुछ इस्राएली एक मरे व्यक्ति को दफना रहे थे और उन्होंने सैनिकों के उस दल को देखा। इस्राएलियों ने जल्दी में शव को एलीशा की कब्र में फेंका और वे भाग खड़े हुए। ज्योंही उस मरे व्यक्ति ने एलीशा की हड्डियों का स्पर्श किया, मरा व्यक्ति जीवित हो उठा और अपने पैरों पर खड़ा हो गया।
वह अनेक चिकित्सकों से इलाज कराते कराते बहुत दुखी हो चुकी थी। उसके पास जो कुछ था, सब खर्च कर चुकी थी, पर उसकी हालत में कोई भी सुधार नहीं आ रहा था, बल्कि और बिगड़ती जा रही थी।
वह गावों में, नगरों में या बस्तियों में, जहाँ कहीं भी जाता, लोग अपने बीमारों को बाज़ारों में रख देते और उससे विनती करते कि वह अपने वस्त्र का बस कोई सिरा ही उन्हें छू लेने दे। और जो भी उसे छू पाये, सब चंगे हो गये।
परिणामस्वरूप लोग अपने बीमारों को लाकर चारपाइयों और बिस्तरों पर गलियों में लिटाने लगे ताकि जब पतरस उधर से निकले तो उनमें से कुछ पर कम से कम उसकी छाया ही पड़ जाये।