फिर उसने कहा, “जिसके पास सुनने को कान है, वह सुने!”
जो सुन सकता है, सुने!
जो सुन सकता है, वह सुन ले।”
उसने भीड़ को अपने पास बुलाया और उनसे कहा, “सुनो और समझो कि
फिर जब वह अकेला था तो उसके बारह शिष्यों समेत जो लोग उसके आसपास थे, उन्होंने उससे दृष्टान्तों के बारे में पूछा।
“सुनो! एक बार एक किसान बीज वो ने के लिए निकला।
कुछ बीज अच्छी धरती पर गिरे। वे उगे, उनकी बढ़वार हुई और उन्होंने अनाज पैदा किया। तीस गुणी, साठ गुणी और यहाँ तक कि सौ गुणी अधिक फसल उतरी।”
इसलिये ध्यान से सुनो क्योंकि जिसके पास है उसे और भी दिया जायेगा और जिसके पास नहीं है, उससे जो उसके पास दिखाई देता है, वह भी ले लिया जायेगा।”
“जो सुन सकता है वह सुन ले कि आत्मा कलीसियाओं से क्या कह रही है। जो विजयी होगा उसे दूसरी मृत्यु से कोई हानि नहीं उठानी होगी।
“जिसके पास कान हैं, वह उसे सुने जो आत्मा कलीसियाओं से कह रहा है। जो विजय पाएगा मैं उसे परमेश्वर के उपवन में लगे जीवन के वृक्ष से फल खाने का अधिकार दूँगा।
जो सुन सकता है, वह सुन ले कि आत्मा कलीसियाओं से क्या कह रही है?
जो सुन सकता है सुने, कि आत्मा कलीसियाओं से क्या कह रही है।”
जिसके पास कान है, वह सुन ले कि आत्मा कलीसियाओं से क्या कह रही है।