किन्तु जब वह रोप दिया जाता है तो बढ़ कर भूमि के सभी पौधों से बड़ा हो जाता है। उसकी शाखाएँ इतनी बड़ी हो जाती हैं कि हवा में उड़ती चिड़ियाएँ उसकी छाया में घोंसला बना सकती हैं।”
मेरे प्रिय, अन्य युवकों के बीच तुम ऐसे लगते हो जैसे जंगल के पेड़ों में कोई सेब का पेड़! मुझे अपने प्रियतम की छाया में बैठना अच्छा लगता है; उसका फल मुझे खाने में अति मीठा लगता है।
ये सब बातें दिखाती हैं कि वहाँ सब कहीं शांति होगी। कोई व्यक्ति किसी दूसरे को हानि नहीं पहुँचायेगा। मेरे पवित्र पर्वत के लोग वस्तुओं को नष्ट नहीं करना चाहेंगे। क्यों क्योंकि लोग यहोवा को सचमुच जान लेंगे। वे उसके ज्ञान से ऐसे परिपूर्ण होंगे जैसे सागर जल से परिपूर्ण होता है।
यदि ऐसा होगा तो राजा उस स्थान के समान हो जायेगा जहाँ लोग आँधी और वर्षा से बचने के लिये आश्रय लेते हैं। यह सूखी धरती में जलधाराओं के समान होगा। यह ऐसा ही होगा जैसे गर्म प्रदेश में किसी बड़ी चट्टान की ठण्डी छाया।
वह राजा जो हमारी नाकों के भीतर हमारा प्राण था, गर्त में फँसा लिया गया था; वह राजा ऐसा व्यक्ति था जिसे यहोवा ने स्वयं चुना था। राजा के बारे में हमने कहा था, “उसकी छत्र छाया में हम जीवित रहेंगे, उसकी छाया में हम जातियों के बीच जीवित रहेंगे।”
मैं स्वयं इसे इस्राएल में ऊँचे पर्वत पर लगाऊँगा। यह शाखा एक वृक्ष बन जाएगी। इसकी शाखायें निकलेंगी और इसमें फल लगेंगे। यह एक सुन्दर देवदार का वृक्ष बन जाएगा। अनेक पक्षी इसकी शाखाओं पर बैठा करेंगे। अनेक पक्षी इसकी शाखाओं के नीचे छाया में रहेंगे।
यह बीज छोटे से छोटा होता है किन्तु बड़ा होने पर यह बाग के सभी पौधों से बड़ा हो जाता है। यह पेड़ बनता है और आकाश के पक्षी आकर इसकी शाखाओं पर शरण लेते हैं।”