दूत ने कहा, “तुम अपने पुत्र को मत मारो अथवा उसे किसी प्रकार की चोट न पहुँचाओ। मैंने अब देख लिया कि तुम परमेश्वर का आदर करते हो और उसकी आज्ञा मानते हो। मैं देखता हूँ कि तुम अपने एक लौते पुत्र को मेरे लिए मारने के लिए तैयार हो।”
देखो! मेरी विपत्तियाँ समाप्त हुई! अब मेरे पास शांति है। तू मुझ से बहुत अधिक प्रेम करता है! तूने मुझे कब्र में सड़ने नहीं दिया। तूने मेरे सब पाप क्षमा किये! तूने मेरे सब पाप दूर फेंक दिये।
वह अपनी आत्मा में बहुत सी पीड़ाएँ झेलेगा किन्तु वह घटने वाली अच्छी बातों को देखेगा। वह जिन बातों का ज्ञान प्राप्त करता है, उनसे संतुष्ट होगा। मेरा वह उत्तम सेवक बहुत से लोगों को उनके अपराधों से छुटकारा दिलाएगा। वह उनके पापों को अपने सिर ले लेगा।
लोग लकवे के एक रोगी को खाट पर लिटा कर उसके पास लाये। यीशु ने जब उनके विश्वास को देखा तो उसने लकवे के रोगी से कहा, “हिम्मत रख हे बालक, तेरे पाप को क्षमा किया गया!”
अधिक सहज क्या है? यह कहना कि ‘तेरे पाप क्षमा हुए’ या यह कहना ‘खड़ा हो और चल पड़?’ ताकि तुम यह जान सको कि पृथ्वी पर पापों को क्षमा करने की शक्ति मनुष्य के पुत्र में हैं।” यीशु ने लकवे के मारे से कहा, “खड़ा हो, अपना बिस्तर उठा और घर चला जा।”
इसके बाद यीशु ने उस व्यक्ति को मन्दिर में देखा और उससे कहा, “देखो, अब तुम नीरोग हो, इसलिये पाप करना बन्द कर दो। नहीं तो कोई और बड़ा कष्ट तुम पर आ सकता है।” फिर वह व्यक्ति चला गया।
जब बरनाबास ने वहाँ पहुँच कर प्रभु के अनुग्रह को सकारथ होते देखा तो वह बहुत प्रसन्न हुआ और उसने उन सभी को प्रभु के प्रति भक्तिपूर्ण ह्रदय से विश्वासी बने रहने को उत्साहित किया।
उसे ही प्रमुख और उद्धारकर्ता के रूप में महत्त्व देते हुए परमेश्वर ने अपने दाहिने स्थित किया है ताकि इस्राएलियों को मन फिराव और पापों की क्षमा प्रदान की जा सके।
किन्तु यदि तुम किसी को किसी बात के लिये क्षमा करते हो तो उसे मैं भी क्षमा करता हूँ और जो कुछ मैंने क्षमा किया है (यदि कुछ क्षमा किया है), तो वह मसीह की उपस्थिति में तुम्हारे लिये ही किया है।
परमेश्वर के अनुग्रह द्वारा अपने विश्वास के कारण तुम्हारा उद्धार हुआ है। यह तुम्हें तुम्हारी ओर से प्राप्त नहीं हुआ है, बल्कि यह तो परमेश्वर का वरदान है।
तुम्हें आपस में जब कभी किसी से कोई कष्ट हो तो एक दूसरे की सह लो और परस्पर एक दूसरे को मुक्त भाव से क्षमा कर दो। तुम्हें आपस में एक दूसरे को ऐसे ही क्षमा कर देना चाहिए जैसे परमेश्वर ने तुम्हें मुक्त भाव से क्षमा कर दिया।