तो आज्ञा दीजिये कि तीसरे दिन तक कब्र पर चौकसी रखी जाये। जिससे ऐसा न हो कि उसके शिष्य आकर उसका शव चुरा ले जायें और लोगों से कहें वह मरे हुओं में से जी उठा। यह दूसरा छलावा पहले छलावे से भी बुरा होगा।”
फिर वह लौटती है और अपने साथ सात और दुष्टात्माओं को लाती है जो उससे भी बुरी होती हैं। फिर वे सब आकर वहाँ रहने लगती हैं। और उस व्यक्ति की दशा पहले से भी अधिक भयानक हो जाती है। आज की इस बुरी पीढ़ी के लोगों की दशा भी ऐसी ही होगी।”
निश्चय ही हम जब लोगों का ध्यान अपने उपदेशों की ओर खींचना चाहते हैं तो वह इसलिए नहीं कि हम कोई भटके हुए हैं। और न ही इसलिए कि हमारे उद्देश्य दूषित हैं और इसलिए भी नहीं कि हम लोगों को छलने का जतन करते हैं।