यीशु को पकड़वाने वाले यहूदा ने जब देखा कि यीशु को दोषी ठहराया गया है, तो वह बहुत पछताया और उसने प्रमुख याजकों और बुज़ुर्ग यहूदी नेताओं को चाँदी के वे तीस सिक्के लौटा दिये।
किन्तु बैल यदि दास को मार दे तो बैल का स्वामी दास के स्वामी को एक नये दास का मूल्य चाँदी के तीस सिक्के दे और बैल भी पत्थरों से मार डाला जाए। यह नियम दास और दासी के लिए समान होगा।
तब यहोवा ने मुझ से कहा, “इसका अर्थ है कि वे मेरी कीमत कितनी आंकते हैं। उन अधिक धन को मंदिर के खजाने में डाल दो।” इसलिये मैंने चांदी के तीस टुकड़ों को लिया और उन्हें यहोवा के मंदिर के खजाने में डाल
इसलिये यहूदा रोमी सिपाहियों की एक टुकड़ी और महायाजकों और फरीसियों के भेजे लोगों और मन्दिर के पहरेदारों के साथ मशालें दीपक और हथियार लिये वहाँ आ पहुँचा।
(इस मनुष्य ने जो धन उसे उसके नीचतापूर्ण काम के लिये मिला था, उससे एक खेत मोल लिया किन्तु वह पहले तो सिर के बल गिरा और फिर उसका शरीर फट गया और उसकी आँतें बाहर निकल आई।
क्योंकि वह दुःख जिसे परमेश्वर देता है एक ऐसे मनफिराव को जन्म देता है जिसके लिए पछताना नहीं पड़ता और जो मुक्ति दिलाता है। किन्तु वह दुःख जो सांसारिक होता है, उससे तो बस मृत्यु जन्म लेती है।