“जब वे मोल लेने जा ही रही थी कि दूल्हा आ पहुँचा। सो वे कन्य़ाएँ जो तैयार थीं, उसके साथ विवाह के उत्सव में भीतर चली गईं और फिर किसी ने द्वार बंद कर दिया।
हर क्षण सतर्क रहो, और प्रार्थना करो कि तुम्हें उन सभी बातों से, जो घटने वाली हैं, बचने की शक्ति प्राप्त हो। और आत्म-विश्वास के साथ मनुष्य के पुत्र के सामने खड़े हो सको।”
यह सब कुछ तुम इसलिए करो कि जैसे समय में तुम रह रहे हो, उसे जानते हो। तुम जानते हो कि तुम्हारे लिए अपनी नींद से जागने का समय आ पहुँचा है, क्योंकि जब हमने विश्वास धारण किया था हमारा उद्धार अब उससे अधिक निकट है।
“सावधान! मैं दबे पाँव आकर तुम्हें अचरज में डाल दूँगा। वह धन्य है जो जागता रहता है, और अपने वस्त्रों को अपने साथ रखता है ताकि वह नंगा न फिरे और लोग उसे लज्जित होते न देखें।”