“कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति के साथ कुछ बुरा करने का दोषी हो सकता है। जब ऐसा होगा तो दोषी व्यक्ति को, यह सिद्ध करने के लिए कि वह निरपराध है, तेरा नाम लेना पड़ेगा। जब वह तेरी वेदी के सामने शपथ लेने मन्दिर में आए तो
“यदि कोई व्यक्ति परमेश्वर को विशेष वचन देता है या यदि वह व्यक्ति यहोवा को कुछ विशेष अर्पित करने का वचन देता है तो उसे वैसा ही करने दो। किन्तु उस व्यक्ति को ठीक वैसा ही करना चाहिए जैसा उसने वचन दिया है।
“अरे अंधे रहनुमाओं! तुम्हें धिक्कार है जो कहते हो यदि कोई मन्दिर की सौगंध खाता है तो उसे उस शपथ को रखना आवश्यक नहीं है किन्तु यदि कोई मन्दिर के सोने की शपथ खाता है तो उसे उस शपथ का पालन आवश्यक है।