“यहूदा, तुम मुझसे कैसे कह सकते हो, ‘मै अपराधी नहीं हूँ, मैंने बाल की मूर्तियों की पूजा नहीं की है!’ उन कामों के बारे में सोचों जिन्हें तुमने घाटी में किये। उस बारे में सोचों, तुमने क्या कर डाला है। तुम उस तेज ऊँटनी के समान हो जो एक स्थान से दूसरे स्थान को दौड़ती है।
“उत्तर में उनमें से किसी एक से जमींदार ने कहा, ‘दोस्त, मैंने तेरे साथ कोई अन्याय नहीं किया है। क्या हमने तय नहीं किया था कि मैं तुम्हें चाँदी का एक रुपया दूँगा?
अब हम यह जानते हैं कि व्यवस्था में जो कुछ कहा गया है, वह उन को सम्बोधित है जो व्यवस्था के अधीन हैं। ताकि हर मुँह को बन्द किया जा सके और सारा जगत परमेश्वर के दण्ड के योग्य ठहरे।
इसलिए ठीक समय आने से पहले अर्थात् जब तक प्रभु न आ जाये, तब तक किसी भी बात का न्याय मत करो। वही अन्धेरे में छिपी बातों को उजागर करेगा और मन की प्रेरणा को प्रकट करेगा। उस समय परमेश्वर की ओर से हर किसी की उपयुक्त प्रशंसा होगी।
“यहोवा अपने पवित्र लोगों की रक्षा करता है। वह उन्हें ठोकर खाकर गिरने से बचाता है। किन्तु पापी लोग नष्ट किये जाएंगे। वे घोर अंधेरे में गिरेंगे। उनकी शक्ति उन्हें विजय प्राप्त करने में सहायक नहीं होगी।