फिर उसने उन्हें बैतलहम भेजा और कहा, “जाओ उस शिशु के बारे में अच्छी तरह से पता लगाओ और जब वह तुम्हें मिल जाये तो मुझे बताओ ताकि मैं भी आकर उसकी उपासना कर सकूँ।”
अबशालोम और इस्राएलियों ने कहा, “एरेकी हूशै की सलाह अहीतोपेल की सलाह से अच्छी है।” उन्होंने ऐसा कहा क्योंकि यह यहोवा की योजना थी। यहोवा नें अहीतोपेल की सलाह की व्यर्थ करने को योजना बनाई थी। इस प्रकार यहोवा अबशालोम को डण्ड दे सकता था।
इसलिये ईज़ेबेल ने एलियाह के पास एक दूत भेजा। ईज़ेबेल ने कहा, “मैं प्रतिज्ञा करती हूँ कि इस समय से पहले कल मैं तुमको वैसे ही मारूँगी जैसे तुमने नबियों को मारा। यदि मैं सफल नहीं होती तो देवता मुझे मार डालें।”
हेरोदेस जब राज कर रहा था, उन्हीं दिनों यहूदिया के बैतलहम में यीशु का जन्म हुआ। कुछ ही समय बाद कुछ विद्वान जो सितारों का अध्ययन करते थे, पूर्व से यरूशलेम आये।
फिर वे राजा की बात सुनकर चल दिये। वह सितारा भी जिसे आकाश में उन्होंने देखा था उनके आगे आगे जा रहा था। फिर जब वह स्थान आया जहाँ वह बालक था, तो सितारा उसके ऊपर रुक गया।