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क्रॉस रेफरेंस
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मत्ती 18:31

पवित्र बाइबल

दूसरे दास इस सारी घटना को देखकर बहुत दुःखी हुए। और उन्होंने जो कुछ घटा था, सब अपने स्वामी को जाकर बता दिया।

अध्याय देखें प्रतिलिपि

16 क्रॉस रेफरेंस  

याकूब के परिवार की यही कथा है। यूसुफ एक सत्रह वर्ष का युवक था। उसका काम भेड़ बकरियों की देखभाल करना था। यूसुफ यह काम अपने भाईयों यानि कि बिल्हा और जिल्पा के पुत्रों के साथ करता था। (बिल्हा और जिल्पा उस के पिता की पत्नियाँ थीं)

रो—रो कर आँसुओं की एक नदी मैं बहा चुका हूँ। क्योंकि लोग तेरी शिक्षाओं का पालन नहीं करते हैं।

मैं उन कृतघ्नों को देख रहा हूँ। हे यहोवा, तेरे वचन का पालन वे नहीं करते। मुझको उनसे घृणा है।

यदि मेरा सिर पानी से भरा होता, और मेरी आँखें आँसू का झरना होतीं तो मैं अपने नष्ट किये गए लोगों के लिए दिन रात रोता रहता।

यद्यपि राजा बहुत दुःखी था किन्तु अपनी शपथ और अपने मेहमानों के कारण उसने उसकी माँग पूरी करने का आदेश दे दिया।

“फिर जब वह दास वहाँ से जा रहा था, तो उसे उसका एक साथी दास मिला जिसे उसे कुछ रूपये देने थे। उसने उसका गिरहबान पकड़ लिया और उसका गला घोटते हुए बोला, ‘जो तुझे मेरा देना है, लौटा दे!’

“पर उसने मना कर दिया। इतना ही नहीं उसने उसे तब तक के लिये, जब तक वह उसका कर्ज़ न चुका दे, जेल भी भिजवा दिया।

“तब उसके स्वामी ने उसे बुलाया और कहा, ‘अरे नीच दास, मैंने तेरा वह सारा कर्ज़ माफ कर दिया क्योंकि तूने मुझ से दया की भीख माँगी थी।

फिर यीशु ने क्रोध में भर कर चारों ओर देखा और उनके मन की कठोरता से वह बहुत दुखी हुआ। फिर उसने उस मनुष्य से कहा, “अपना हाथ आगे बढ़ा।” उसने हाथ बढ़ाया, उसका हाथ पहले जैसा ठीक हो गया।

“सो जब वह सेवक लौटा तो उसने अपने स्वामी को ये बातें बता दीं। इस पर उस घर का स्वामी बहुत क्रोधित हुआ और अपने सेवक से कहा, ‘शीघ्र ही नगर के गली कूँचों में जा और दीन-हीनों, अपाहिजों, अंधों और लँगड़ों को यहाँ बुला ला।’

जब उसने पास आकर नगर को देखा तो वह उस पर रो पड़ा।

जो प्रसन्न हैं उनके साथ प्रसन्न रहो। जो दुःखी है, उनके दुःख में दुःखी होओ।

मैं लज्जा के साथ कह रहा हूँ, हम बहुत दुर्बल रहे हैं। यदि कोई व्यक्ति किसी वस्तु पर गर्व करने का साहस करता है तो वैसा ही साहस मैं भी करूँगा। (मैं मूर्खतापूर्वक कह रहा हूँ)

अपने मार्ग दर्शकों की आज्ञा मानो। उनके अधीन रहो। वे तुम पर ऐसे चौकसी रखते हैं जैसे उन व्यक्तियों पर रखी जाती है जिनको अपना लेखा जोखा उन्हें देना है। उनकी आज्ञा मानो जिससे उनका कर्म आनन्द बन जाए। न कि एक बोझ बने। क्योंकि उससे तो तुम्हारा कोई लाभ नहीं होगा।

बंदियों को इस रूप में याद करो जैसे तुम भी उनके साथ बंदी रहे हो। जिनके साथ बुरा व्यवहार हुआ है उनकी इस प्रकार सुधि लो जैसे मानो तुम स्वयं पीड़ित हो।




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