तू ऐसा नहीं कह सकता, “मुझे इससे क्या लेना।” यहोवा जानता है सब कुछ और यह भी वह जानता है किस लिये तू काम करता है यहोवा तुझको देखता रहता है। तेरे भीतर की जानता है और वह तुझको यहोवा तेरे कर्मो का प्रतिदान देगा।
इसलिये मैंने अपने मन से कहा, “हर बात के लिये परमेश्वर ने एक समय निश्चित किया है। मनुष्य जो कुछ करते हैं उसका न्याय करने के लिये भी परमेश्वर ने एक समय निश्चित किया है। परमेश्वर अच्छे लोगों और बुरे लोगों का न्याय करेगा।”
किन्तु मैं यहोवा हूँ और मैं व्यक्ति के हृदय को जान सकता हूँ। मैं व्यक्ति के दिमाग की जाँच कर सकता हूँ। अत: मैं निर्णय कर सकता हूँ कि हर एक व्यक्ति को क्या मिलना चाहिये मैं हर एक व्यक्ति को उसके लिये ठीक भुगतान कर सकता हूँ जो वह करता है।
हे यहोवा, तू महान कार्यों की योजना बनाता और उन्हें करता है। तू वह सब देखता है जिन्हें लोग करते हैं और उन्हें पुरस्कार देता है जो अच्छे काम करते हैं तथा उन्हें दण्ड देता है जो बुरे काम करते हैं, तू उन्हें वह देता है जिनके वे पात्र हैं।
जो व्यक्ति पाप करता है वही व्यक्ति मार डाला जाता है। एक पुत्र अपने पिता के पापों के लिये दण्डित नहीं होगा और एक पिता अपने पुत्र के पापों के लिये दण्डित नहीं होगा। एक भले व्यक्ति की भलाई केवल उसकी निजी होती है और बुरे व्यक्ति की बुराई केवल उसी की होती है।
तुम्हारा राजा उन लोगों के लिये रोएगा, जो मर गए। प्रमुख शोक—वस्त्र पहनेंगे। साधारण लोग बहुत डर जाएंगे। क्यों क्योंकि मैं उसका बदला दूँगा जो उन्होंने किया। मैं उनका दण्ड निश्चित करूँगा। और मैं उन्हें दण्ड दूँगा। तब वे लोग समझेंगे कि मैं यहोवा हूँ।”
सनातन राजा के सामने एक आग की नदी बह रही थी। लाखों करोड़ों लोग उसकी सेवा में थे। उसके सामने करोड़ों दास खड़े थे। यह दृश्य कुछ वैसा ही था जैसे दरबार शुरू होने को पुस्तकें खोली गयी हों।
जैसे—जैसे वह पर्वतीय घाटी तुम्हारे समीप आती जाएगी, तुम भाग जाना चाहोगे। तुम उसी समय की तरह भागोगे, जैसे तुम यहूदा के राजा उज्जिय्याह के समय में भुक्मप से भागे थे। किन्तु यहोवा, मेरा परमेश्वर आएगा और उनके सभी पवित्र लोग उनके साथ होंगे।
“उस समय मनुष्य के पुत्र के आने का संकेत आकाश में प्रकट होगा। तब पृथ्वी पर सभी जातियों के लोग विलाप करेंगे और वे मनुष्य के पुत्र को शक्ति और महिमा के साथ स्वर्ग के बादलों में प्रकट होते देखेंगे।
यीशु ने उत्तर दिया, “हाँ, मैं हूँ। किन्तु मैं तुम्हें बताता हूँ कि तुम मनुष्य के पुत्र को उस परम शक्तिशाली की दाहिनी ओर बैठे और स्वर्ग के बादलों पर आते शीघ्र ही देखोगे।”
यदि कोई इस व्यभिचारी और पापी पीढ़ी में मेरे नाम और वचन के कारण लजाता है तो मनुष्य का पुत्र भी जब पवित्र स्वर्गदूतों के साथ अपने परम पिता की महिमा सहित आयेगा, तो वह भी उसके लिए लजायेगा।”
जो कोई भी मेरे शब्दों के लिये लज्जित है, उसके लिये परमेश्वर का पुत्र भी जब अपने वैभव, अपने परमपिता और पवित्र स्वर्गदूतों के वैभव में प्रकट होगा तो उसके लिये लज्जित होगा।
इस तरह यह बात भाईयों में यहाँ तक फैल गयी कि वह शिष्य नहीं मरेगा। यीशु ने यह नहीं कहा था कि वह नहीं मरेगा। बल्कि यह कहा था, “यदि मैं यह चाहूँ कि जब तक मैं आऊँ, यह यहीं रहे, तो तुझे क्या?”
और कहा, “हे गलीली लोगों, तुम वहाँ खड़े-खड़े आकाश में टकटकी क्यों लगाये हो? यह यीशु जिसे तुम्हारे बीच से स्वर्ग में ऊपर उठा लिया गया, जैसे तुमने उसे स्वर्ग में जाते देखा, वैसे ही वह फिर वापस लौटेगा।”
हर व्यक्ति का कर्म स्पष्ट रूप से दिखाई देगा। क्योंकि वह दिन उसे उजागर कर देगा। क्योंकि वह दिन ज्वाला के साथ प्रकट होगा और वही ज्वाला हर व्यक्ति के कर्मो को परखेगी कि वे कर्म कैसे हैं।
क्योंकि स्वर्गदूतों का मुखिया जब अपने ऊँचे स्वर से आदेश देगा तथा जब परमेश्वर का बिगुल बजेगा तो प्रभु स्वयं स्वर्ग से उतरेगा। उस समय जिन्होंने मसीह में प्राण त्यागे हैं, वे पहले उठेंगे।
सो भाईयों, प्रभु के फिर से आने तक धीरज धरो। उस किसान का ध्यान धरो जो अपनी धरती की मूल्यवान उपज के लिए बाट जोहता रहता है। इसके लिए वह आरम्भिक वर्षा से लेकर बाद की वर्षा तक निरन्तर धैर्य के साथ बाट जोहता रहता है।
और यदि तुम, प्रत्येक के कर्मों के अनुसार पक्षपात रहित होकर न्याय करने वाले परमेश्वर को हे पिता कह कर पुकारते हो तो इस परदेसी धरती पर अपने निवास काल में सम्मानपूर्ण भय के साथ जीवन जीओ।
देखो, मेघों के साथ मसीह आ रहा है। हर एक आँख उसका दर्शन करेगी। उनमें वे भी होंगे, जिन्होंने उसे बेधा था। तथा धरती के सभी लोग उसके कारण विलाप करेंगे। हाँ! हाँ निश्चयपूर्वक ऐसा ही हो-आमीन!
मैं महामारी से उसके बच्चों को मार डालूँगा और सभी कलीसियाओं को यह पता चल जाएगा कि मैं वही हूँ जो लोगों के मन और उनकी बुद्धि को जानता है। मैं तुम सब लोगों को तुम्हारे कर्मो के अनुसार दूँगा।
फिर मैंने छोटे और बड़े मृतकों को देखा। वे सिंहासन के आगे खड़े थे। कुछ पुस्तकें खोली गयीं। फिर एक और पुस्तक खोली गयीं—यही “जीवन की पुस्तक” है। उन कर्मों के अनुसार जो पुस्तकों में लिखे गए थे, मृतकों का न्याय किया गया।