“तब उसने उनसे कहा, ‘यह किसी शत्रु का काम है।’ “उसके दासों ने उससे पूछा, ‘क्या तू चाहता है कि हम जाकर खरपतवार उखाड़ दें?’
तब खेत के मालिक के पास आकर उसके दासों ने उससे कहा, ‘मालिक, तूने तो खेत में अच्छा बीज बोया था, बोया था ना? फिर ये खरपतवार कहाँ से आई?’
“वह बोला, ‘नहीं, क्योंकि जब तुम खरपतवार उखाड़ोगे तो उनके साथ, तुम गेहूँ भी उखाड़ दोगे।
हे भाईयों, हमारा तुमसे निवेदन है आलसियों को चेताओ, डरपोकों को प्रोत्साहित करो, दोनों की सहायता में रुचि लो, सब के साथ धीरज रखो।