फिर कुछ यहूदी धर्म शास्त्रियों और फरीसियों ने उससे कहा, “गुरु, हम तुझे आश्चर्य चिन्ह प्रकट करते देखना चाहते हैं।”
तेरी बातों के आधार पर ही तुझे निर्दोष और तेरी बातों के आधार पर ही तुझे दोषी ठहराया जायेगा।”
किन्तु औरों ने उसे परखने के लिये किसी स्वर्गीय चिन्ह की माँग की।
जैसे जैसे भीड़ बढ़ रही थी, वह कहने लगा, “यह एक दुष्ट पीढ़ी है। यह कोई चिन्ह देखना चाहती है। किन्तु इसे योना कि चिन्ह के सिवा और कोई चिन्ह नहीं दिया जायेगा।
जवाब में यहूदियों ने यीशु से कहा, “तू हमें कौन सा अद्भुत चिन्ह दिखा सकता है, जिससे तू जो कुछ कर रहा है, उसका तू अधिकारी है यह साबित हो सके?”
यीशु ने उससे कहा, “अद्भुत संकेत और आश्चर्यकर्म देखे बिना तुम लोग विश्वासी नहीं बनोगे।”
लोगों ने पूछा, “तू कौन से आश्चर्य चिन्ह प्रकट करेगा जिन्हें हम देखें और तुझमें विश्वास करें? तू क्या कार्य करेगा?
यहूदी लोग तो चमत्कारपूर्ण संकेतों की माँग करते हैं और ग़ैर यहूदी विवेक की खोज में हैं।