“जब तुम्हें आनन्द से भरकर शांति और एकता के साथ में उस धरती से छुड़ाकर ले जाया जा रहा होगा जिसमें तुम बन्दी थे, तो तुम्हारे सामने खुशी में पहाड़ फट पड़ेंगे और थिरकने लगेंगे। पहाड़ियाँ नृत्य में फूट पड़ेंगी। तुम्हारे सामने जंगल के सभी पेड़ ऐसे हिलने लगेंगे जैसे तालियाँ पीट रहे हो।
“तूने मुझको सागर में फेंक दिया था। तेरी शक्तिशाली लहरों ने मुझे थपेड़े मारे मैं सागर के बीच में, मैं गहरे से गहरा उतरता चला गया। मेरे चारों तरफ बस पानी ही पानी था।