तुम मेरे विरुद्ध गए मैंने तुम्हारे गर्वीले अपमान के शब्द सुने। इसलिये मैं अपना अंकुश तुम्हारी नाक में डालूँगा। और मैं अपनी लगाम तुम्हारे मूहँ में डालूँगा। तब मैं तुम्हें पीछे लौटाऊँगा और उस मार्ग लौटाऊँगा जिससे तुम आए थे।”
तूने मेरे लिये मेरे विरोध में बुरी बातें कही। तू बोलता रहा। तू अपनी आवाज मेरे विरोध में उठायी थी! तूने मुझ इस्राएल के पवित्र (परमेश्वर) को अभिमान भी आँखों से घूरा था।
तू मुझसे खुश नहीं है और मैंने तेरे अहंकारपूर्ण अपमानों को सुना है। सो मैं तुझे दण्ड दूँगा। मैं तेरी नाक मे नकेल डालूँगा। मैं तेरे मुँह पर लगाम लगाऊँगा और तब मैं तुझे विवश करुँगा कि तू जिस मार्ग से आया था, उसी मार्ग से मेरे देश को छोड़ कर वापस चला जा!’”
वे सब लोग तुम्हारे विरूद्ध लड़ेंगे, किन्तु वे तुझे पराजित नहीं करेंगे। क्यों क्योंकि मैं तुम्हारे साथ हूँ, और मैं तेरी रक्षा करूँगा।” यह सन्देश यहोवा का है।
पिलातुस ने देखा कि अब कोई लाभ नहीं। बल्कि दंगा भड़कने को है। सो उसने थोड़ा पानी लिया और भीड़ के सामने अपने हाथ धोये, वह बोला, “इस व्यक्ति के खून से मेरा कोई सरोकार नहीं है। यह तुम्हारा मामला है।”
पर यहूदी तो डाह में जले जा रहे थे। उन्होंने कुछ बाजारू गुँडों को इकट्ठा किया और एक हुजूम बना कर नगर में दंगे करा दिये। उन्होंने यासोन के घर पर धावा बोल दिया। और यह कोशिश करने लगे कि किसी तरह पौलुस और सिलास को लोगों के सामने ले आयें।
सो सारा नगर विरोध में उठ खड़ा हुआ। लोग दौड़-दौड़ कर चढ़ आये और पौलुस को पकड़ लिया। फिर वे उसे घसीटते हुए मन्दिर के बाहर ले गये और तत्काल फाटक बंद कर दिये गये।
क्योंकि यह विवाद हिंसक रूप ले चुका था, इससे वह सेनापति डर गया कि कहीं वे पौलुस के टुकड़े-टुकड़े न कर डालें। सो उसने सिपाहियों को आदेश दिया कि वे नीचे जा कर पौलुस को उनसे अलग करके छावनी में ले जायें।
इस प्रकार मिद्यानी लोग इस्राएल के शासन में रहने के लिये मजबूर किये गये। मिद्यानी लोगों ने अब आगे कोई कष्ट नहीं दिया। इस प्रकार गिदोन के जीवन काल में चालीस वर्षों तक पूरे देश में शान्ति रही।