प्रचीन काल में, तूने हमें एक अति महत्वपूर्ण पौधे सा समझा। तू अपनी दाखलता मिस्र से बाहर लाया। तूने दूसरे लोगों को यह धरती छोड़ने को विवश किया और यहाँ तूने अपनी निज दाखलता रोप दी।
परमेश्वर ने दूसरी जातियों को वह भूमि छोड़ने को विवश किया। परमेश्वर ने प्रत्येक घराने को उनका भाग उस भूमि में दिया। इस तरह इस्राएल के घराने अपने ही घरों में बस गये।
अनेक गडेरियों (प्रमुखों) ने मेरे अंगूर के खेतों को नष्ट किया है। उन गडेरियों ने मेरे खेत के पौधों को रोंदा है। उन गडेरियों ने मेरे सुन्दर खेत को सूनी मरुभूमि में बदला है।
इसलिये अंगूर की बेल की लकड़ी के टुकड़े जंगल के किसी पेड़ की लकड़ी के टुकड़ों के समान ही है। लोग उन लकड़ी के टुकड़ों को आग में डालते हैं, और आग उन्हें जलाती है। उसी प्रकार मैं यरूशलेम के निवासियों को आग में फेंकूँगा!” मेरे स्वामी यहोवा ने ये बातें कही।
बीज उगे और वे अंगूर की बेल बने। यह बेल अच्छी थी। बेल ऊँची नहीं थी। किन्तु यह एक बड़े क्षेत्र को ढकने के लिये फैल गई। बेल के तने बने और छोटी बेलें बहुत लम्बी हो गई।
हमारे पूर्वज उसे प्राप्त करके तभी वहाँ से आये थे जब यहोशू के नेतृत्त्व में उन्होंने उन जातियों से यह धरती ले ली थी जिन्हें हमारे पूर्वजों के सम्मुख परमेश्वर ने निकाल बाहर किया था। दाऊद के समय तक वह वहीं रहा।
“सिदोन के लोग लबानोन से मिस्रपोतमैम तक पहाड़ी प्रदेश में रह रहे हैं। किन्तु मैं इस्राएल के लोगों के लिये इन सभी को बलपूर्वक निकाल बाहर करूँगा। जब तुम इस्राएल के लोगों में भूमि बाटों, तो इस प्रदेश को निश्चय ही याद रखो। इसे वैसे ही करो जैसा मैंने कहा है।