हे परमेश्वर, क्या तू मुझे चोट पहुँचा कर प्रसन्न होता है? ऐसा लगता है जैसे तुझे अपनी सृष्टि की चिंता नहीं है और शायद तू दुष्टों के कुचक्रों का पक्ष लेता है।
मैं नहीं समझ पाता कि मैं क्यों अब तक घायल हूँ मैं नहीं समझ पाता कि मेरा घाव अच्छा क्यों नहीं होता और भरता क्यों नहीं हे यहोवा, मैं समझता हूँ कि तू बदल गया है। तू सोते के उस पानी की तरह है जो सूख गया हो। तू उस सोते की तरह है जिसका पानी सूख गया हो।
“पृथ्वी पर अनेक परिवार हैं। किन्तु तुम अकेले परिवार हो जिसे मैंने विशेष ध्यान देने के लिये चुना। किन्तु तुम मेरे विरूद्ध हो गए। अत: मैं तुम्हारे सभी पापों के लिये दण्ड दूँगा।”
तुम उस साहसपूर्ण वचन को भूल गये हो। जो तुम्हेंपुत्र के नाते सम्बोधित है: “हे मेरे पुत्र, प्रभु के अनुशासन का तिरस्कार मत कर, उसकी फटकार का बुरा कभी मत मान,