“बलशाली राजाओं की सेनाएं इधर—उधर भाग गयी! युद्ध से जिन वस्तुओं को सैनिक लातें हैं, उनको घर पर रूकी स्त्रियाँ बाँट लेंगी। जो लोग घर में रूके हैं, वे उस धन को बाँट लेंगे।
रथों के पहिए धंस गए। रथों का नियन्त्रण कठिन हो गया। मिस्री चिल्लाए, “हम लोग यहाँ से निकल चलें। यहोवा हम लोगों के विरुद्ध लड़ रहा है। यहोवा इस्राएल के लोगों के लिए लड़ रहा है।”
मूसा और एलीआज़ार ने एक हजार सैनिकों और एक सौ सैनिकों के सेनापतियों से सोना लिया। तब उन्होंने सोने को मिलापवाले तम्बू में रखा। यह भेंट एक यादगार के रूप में इस्राएल के लोगों के लिए यहोवा के सामने थी।
संसार के सम्राट, शासक, सेनानायक, धनी शक्तिशाली और सभी लोग तथा सभी स्वतन्त्र एवम् दास लोगों ने पहाड़ों पर चट्टानों के बीच और गुफाओं में अपने आपको छिपा लिया था।
‘निश्चय ही उन्होंने विजय पाई है निश्चय ही पराजितों की वस्तुएँ वे ले रहे हैं! निश्चय ही वे बाँटते हैं आपस में वस्तुओं को! एक लड़की या दो, दी जा रही हर सैनिक को। संभवत: सीसरा ले रहा है, कोई रंगा वस्त्र। संभवत: एक कढ़े वस्त्र का टुकड़ा हो, या विजेता सीसरा पहनने के लिए, दे कढ़े किनारी युक्त वस्त्र।’
जो तुम कहते हो उसे कोई नहीं सुनेगा। उन व्यक्तियों का हिस्सा भी, जो वितरण सामग्री के साथ ठहरे, उतना ही होगा जितना उनका जो युद्ध में गए। सभी का हिस्सा एक समान होगा।”