हे यहोवा, सारी रात मैं तुझको पुकारता रहता हूँ। मेरा बिछौना मेरे आँसुओं से भीग गया है। मेरे बिछौने से आँसु टपक रहे हैं। तेरे लिये रोते हुए मैं क्षीण हो गया हूँ।
“किन्तु हाय, अब मैं वैसा नहीं कर सकता। मुझ को स्वयं अपने जीवन से घृणा हैं अत: मैं मुक्त भाव से अपना दुखड़ा रोऊँगा। मेरे मन में कड़वाहट भरी है अत: मैं अबबोलूँगा।
हे यहोवा, मेरी विनती सुन! मेरे शब्दों को सुन जो मैं तुझसे पुकार कर कहता हूँ। मेरे आँसुओं को देख। मैं बस राहगीर हूँ, तुझको साथ लिये इस जीवन के मार्ग से गुजरता हूँ। इस जीवन मार्ग पर मैं अपने पूर्वजों की तरह कुछ समय मात्र टिकता हूँ।
तेरी स्तुति मरे व्यक्ति नहीं गाते! मृत्यु के देश में पड़े लोग तेरे यशगीत नहीं गाते। वे मरे हुए व्यक्ति जो कब्र में समायें हैं, सहायता पाने को तुझ पर भरोसा नहीं रखते।
“यिर्मयाह, यह सन्देश यहूदा के लोगों को दो: ‘मेरी आँखें आँसुओं से भरी हैं। मैं बिना रूके रात—दिन रोऊँगा। मैं अपनी कुमारी पुत्री के लिये रोऊँगा। मैं अपने लोगों के लिए रोऊँगा। क्यों क्योंकि किसी ने उन पर प्रहार किया और उन्हें कुचल डाला। वे बुरी तरह घायल किये गए हैं।
“इन सभी बातों को लेकर मैं चिल्लाई। मेरे नयन जल में डूब गये। मेरे पास कोई नहीं मुझे चैन देने। मेरे पास कोई नहीं जो मुझे थोड़ी सी शांति दे। मेरे संताने ऐसी बनी जैसे उजाड़ होता है। वे ऐसे इसलिये हुआ कि शत्रु जीत गया था।”
रात में वह बुरी तरह रोती है और उसके अश्रु गालों पर टिके हुए है! उसके पास कोई नहीं है जो उसको ढांढस दे। उसके मित्र देशों में कोई ऐसा नहीं है जो उसको चैन दे। उसके सभी मित्रों ने उससे मुख फेर लिया। उसके मित्र उसके शत्रु बन गये।
मेरे नयन आँसुओं से दु:ख रहे हैं! मेरा अंतरंग व्याकुल है! मेरे मन को ऐसा लगता है जैसे वह बाहर निकल कर धरती पर गिरा हो! मुझको इसलिये ऐसा लगता है कि मेरे अपने लोग नष्ट हुए हैं। सन्तानें और शिशु मूर्छित हो रहें हैं। वे नगर के गलियों और बाजारों में मूर्छित पड़े हैं।
वह उसके पीछे उसके चरणों में खड़ी थी। वह रो रही थी। अपने आँसुओं से वह उसके पैर भिगोने लगी। फिर उसने पैरों को अपने बालों से पोंछा और चरणों को चूम कर उस पर इत्र उँड़ेल दिया।