अत: दीन जन सोचने लगते हैं, “परमेश्वर ने हमको भुला ही दिया है! हमसे तो परमेश्वर सदा—सदा के लिये दूर हो गया है। जो कुछ भी हमारे साथ घट रहा, उससे परमेश्वर ने दृष्टि फिरा ली है!”
मेरे शत्रु सचमुच मीठा बोलते हैं, और सुशांति की बातें करते रहते हैं। किन्तु वास्तव में, वे युद्ध का कुचक्र रचते हैं। उनके शब्द काट करते छुरी की सी और फिसलन भरे हैं जैसे तेल होता है।
मेरे शत्रुओं ने मुझे चारों ओर से घेर लिया है। मेरे प्राण संकट में है। वे ऐसे हैं, जैसे नरभक्षी सिंह और उनके तेज दाँत भालों और तीरों से और उनकी जीभ तेज तलवार की सी है।
“यिर्मयाह, क्या तुमने सुना है कि लोग क्या कह रहे हैं वे लोग कह रहे हैं: ‘यहोवा ने इस्राएल और यहूदा के दो परिवारों को अस्वीकार कर दिया है। यहोवा ने उन लोगों को चुना था, किन्तु अब वह उन्हें राष्ट्र के रूप में भी स्वीकार नहीं करता।’”