उसे सताया गया और दण्डित किया गया। किन्तु उसने उसके विरोध में अपना मुँह नहीं खोला। वह वध के लिये ले जायी जाती हुई भेड़ के समान चुप रहा। वह उस मेमने के समान चुप रहा जिसका ऊन उतारा जा रहा हो। अपना बचाव करने के लिये उसने कभी अपना मुँह नहीं खोला।
जब वह अपमानित हुआ तब उसने किसी का अपमान नहीं किया, जब उसने दुःख झेले, उसने किसी को धमकी नहीं दी, बल्कि उस सच्चे न्याय करने वाले परमेश्वर के आगे अपने आपको अर्पित कर दिया।