यहोवा मेरी चट्टान, मेरा गढ़, मेरा शरणस्थल है।” मेरा परमेश्वर मेरी चट्टान है। मैं तेरी शरण मे आया हूँ। उसकी शक्ति मुझको बचाती है। यहोवा ऊँचे पहाड़ों पर मेरा शरणस्थल है।
हे मेरे परमेश्वर, हे मेरे परमेश्वर! तूने मुझे क्यों त्याग दिया है? मुझे बचाने के लिये तू क्यों बहुत दूर है? मेरी सहायता की पुकार को सुनने के लिये तू बहुत दूर है।
इन बातों के कारण मेरा स्वामी यहोवा कहता है: “मैं एक पत्थर—एक कोने का पत्थर—सिय्योन में धरती पर गाड़ूँगा। यह एक अत्यन्त मूल्यवान पत्थर होगा। इस अति महत्त्वपूर्ण पत्थर पर ही हर किसी वस्तु का निर्माण होगा। जिसमें विश्वास होगा, वह कभी घबराएगा नहीं।
राजा ने उन दूतों से कहा, “यहूदा के राजा हिजकिय्याह से तुम ये बातें कहना: ‘जिस देवता पर तुम्हारा विश्वास है, उससे तुम मूर्ख मत बनो। ऐसा मत कहो, “अश्शूर के राजा से परमेश्वर यरूशलेम को पराजित नहीं होने देगा।”
सो अब हे हमारे परमेश्वर यहोवा। अब कृपा करके अश्शूर के राजा की शक्ति से हमारी रक्षा कर। ताकि धरती के सभी राज्यों को भी पता चल जाये कि तू यहोवा है और तू ही हमारा एकमात्र परमेश्वर है!”
तू उनको हवा में उछालेगा और हवा उनको उड़ा कर दूर ले जायेगी और उन्हें कहीं छितरा देगी। तब तू यहोवा में स्थित हो कर आनन्दित होगा। तुझको इस्राएल के पवित्र (परमेश्वर) पर पहुत गर्व होगा।
राजा तेरे बच्चों के शिक्षक होंगे और राजकन्याएँ उनका ध्यान रखेंगी। वे राजा और उनकी कन्याएँ दोनों तेरे सामने माथा नवायेंगे। वे तेरे पाँवों भी धूल का चुम्बन करेंगे। तभी तू जानेगा कि मैं यहोवा हूँ। तभी तुझको समझ में आयेगा कि हर ऐसा व्यक्ति जो मुझमें भरोसा रखता है, निराश नहीं होगा।”
लोग मुझे चोट पहुँचा रहे हैं। उन लोगों को लज्जित कर। किन्तु मुझे निराश न कर। उन लोगों को भयभीत होने दो। किन्तु मुझे भयभीत न कर। मेरे शत्रुओं पर भयंकर विनाश का दिन ला उन्हें तोड़ और उन्हें फिर तोड़।
शास्त्र में लिखा है: “देखो, मैं सिय्योन में एक कोने का पत्थर रख रहा हूँ, जो बहुमूल्य है और चुना हुआ है इस पर जो कोई भी विश्वास करेगा उसे कभी भी नहीं लजाना पड़ेगा।”