क्यों? क्योंकि यहोवा ने छ: दिन काम किया और आकाश, धरती, सागर और उनकी हर चीज़ें बनाईं। और सातवें दिन परमेश्वर ने आराम किया। इस प्रकार यहोवा ने शनिवार को वरदान दिया कि उसे आराम के पवित्र दिन के रूप में मनाया जाएगा। यहोवा ने उसे बहुत ही विशेष दिन के रूप में स्थापित किया।
मैंने अपने परमेश्वर यहोवा से प्रार्थना करते हुए उसको अपने सभी पाप बता दिये। मैंने कहा, “हे यहोवा, तू महान और भययोग्य परमेश्वर है। जो व्यक्ति तुझसे प्रेम करते हैं, तू उनके साथ प्रेम और दयालुता के वचन को निभाता है। जो लोग तेरे आदेशों का पालन करते हैं उनके साथ तू अपना वचन निभाता है।
“हे लोगो, तुम यह क्यों कर रहे हो? हम भी वैसे ही मनुष्य हैं, जैसे तुम हो। यहाँ हम तुम्हें सुसमाचार सुनाने आये हैं ताकि तुम इन व्यर्थ की बातों से मुड़ कर उस सजीव परमेश्वर की ओर लौटो जिसने आकाश, धरती, सागर और इनमें जो कुछ है, उसकी रचना की।
“इसलिए याद रखो कि यहोवा तुम्हारा परमेश्वर ही एकमात्र परमेश्वर है, और वही विश्वसनीय है! वह अपनी वाचा को पूरा करता है। वह उन सभी लोगों से प्रेम करता तथा उन पर दया करता है जो उससे प्रेम करते और उसके आदेशों का पालन करते हैं। वह हजारों पीढ़ीयों तक प्रेम और दया करता रहता है।
क्योंकि जो कुछ स्वर्ग में है और धरती पर है, उसी की शक्ति से उत्पन्न हुआ है। कुछ भी चाहे दृश्यमान हो और चाहे अदृश्य, चाहे सिंहासन हो चाहे राज्य, चाहे कोई शासक हो और चाहे अधिकारी, सब कुछ उसी के द्वारा रचा गया है और उसी के लिए रचा गया है।
वह मैं ऐसा इसलिए कर रहा हूँ कि परमेश्वर के चुने हुओं को अनन्त जीवन की आस बँधे। परमेश्वर ने, जो कभी झूठ नहीं बोलता, अनादि काल से अनन्त जीवन का वचन दिया है।
तो फिर यहाँ दो बातें हैं-उसकी प्रतिज्ञा और उसकी शपथ-जो कभी नहीं बदल सकतीं और जिनके बारे में परमेश्वर कभी झूठ नहीं कह सकता। इसलिए हम जो परमेश्वर के निकट सुरक्षा पाने को आए हैं और जो आशा उसने हमें दी है, उसे थामे हुए हैं, अत्यधिक उत्साहित हैं।
ऊँचे स्वर में वह बोला, “परमेश्वर से डरो और उसकी स्तुति करो। क्योंकि उसके न्याय करने का समय आ गया है। उसकी उपासना करो, जिसने आकाश, पृथ्वी, सागर और जल-स्रोतों की रचना की है।”