मैं निराश हो रहा हूँ। मेरा साहस छूट रहा है।
यहाँ तक कि तुम जुऐ में उन बच्चों की वस्तुओं को छीनना चाहते हो, जिनके पिता नहीं हैं। तुम तो अपने निज मित्र को भी बेच डालोगे।
यहोवा मेरी प्रार्थना सुन! तू मेरी सहायता के लिये मेरी पुकार सुन।
तब हमारे शत्रुओं की सेनाएँ बाढ़ सी हमको बहाती हुई उस नदी के जैसी हो जाती जो हमें डूबा रहीं हो।
मेरे शत्रुओं ने मेरे लिये जाल बिछाया है। मेरी आशा छूट रही है किन्तु यहोवा जानता है। कि मेरे साथ क्या घट रहा है।
मैं चारों ओर देखता हूँ और कोई अपना मिस्र मुझको दिख नहीं रहा मेरे पास जाने को कोई जगह नहीं है। कोई व्यक्ति मुझको बचाने का जतन नहीं करता है।
हे यहोवा, मैं पीड़ित और अकेला हूँ। मेरी ओर मुड़ और मुझ पर दया दिखा।
मैं बहुत डरा हुआ हूँ। मैं थरथर काँप रहा हूँ। मैं भयभीत हूँ।
जहाँ भी मैं कितनी ही निर्बलता में होऊँ, मैं सहायता पाने को तुझको पुकारूँगा! जब मेरा मन भारी हो और बहुत दु:खी हो, तू मुझको बहुत ऊँचे सुरक्षित स्थान पर ले चल।
मैं परमेश्वर का मनन करता हूँ, और मैं जतन करता रहता हूँ कि मैं उससे बात करूँ और बता दूँ कि मुझे कैसा लग रहा है। किन्तु हाय मैं ऐसा नहीं कर पाता।
रात में, मैं निज गीतों के विषय़ में सोचता हूँ। मैं अपने आप से बातें करता हूँ, और मैं समझने का यत्न करता हूँ।
उधर यीशु बड़ी बेचैनी के साथ और अधिक तीव्रता से प्रार्थना करने लगा। उसका पसीना रक्त की बूँदों के समान धरती पर गिर रहा था।