शाऊल की पुत्री मीकल खिड़की से देख रही थी। जब यहोवा का पवित्र सन्दूक नगर में आया तो दाऊद यहोवा के सामने नाच—कूद कर रहा था। मीकल ने यह देखा और वह दाऊद पर गुस्सा हो गई। उसने सोचा कि वह अपने आप को मूर्ख सिद्ध कर रहा है।
उन्होंने यशायाह से कहा, “हिजकिय्याह यह कहता है, ‘यह हमारे लिये संकट’ दण्ड और अपमान का दिन है। यह बच्चों को जन्म देने जैसा समय है, किन्तु उन्हें जन्म देने के लिये कोई शक्ति नहीं है।
उस से घृणा की गई थी और उसके मित्रों ने उसे छोड़ दिया था। वह एक ऐसा व्यक्ति था जो पीड़ा को जानता था। वह बीमारी को बहुत अच्छी तरह पहचानता था। लोग उसे इतना भी आदर नहीं देते थे कि उसे देख तो लें। हम तो उस पर ध्यान तक नहीं देते थे।
“मैं उन अन्य राष्ट्रों को तुम्हें और अधिक अपमानित नहीं करने दूँगा। तुम उन लोगों से और अधिक चोट नहीं खाओगे। तुम उनको बच्चों से रहित फिर कभी नहीं करोगे।” मेरे स्वामी यहोवा ने ये बातें कहीं।
“इसलिये इस्राएल देश के बारे में ये कहो। पर्वतों, पहाड़ियों, धाराओं और घाटियों से कहो। यह कहो कि स्वामी यहोवा यह कहता है, ‘मैं अपनी तीव्र अनुभूतियों और क्रोध को अपने लिये बोलने दूँगा। क्यों क्योंकि इन राष्ट्रों से तुम्हें अपमान की पीड़ा मिली है।’”
वहाँ खड़े लोग देख रहे थे। यहूदी नेता उसका उपहास करते हुए बोले, “इसने दूसरों का उद्धार किया है। यदि यह परमेश्वर का चुना हुआ मसीह है तो इसे अपने आप अपनी रक्षा करने दो।”