क्योंकि मैं भूखा हूँ इसलिए मेरे घुटने दुर्बल हो गये हैं। मेरा भार घटता ही जा रहा है, और मैं सूखता जा रहा हूँ।
“मैं इतना दुर्बल हूँ कि मेरी खाल मेरी हड्डियों पर लटक गई। अब मुझ में कुछ भी प्राण नहीं बचा है।
मेरी शक्ति धरती पर बिखरे जल सी लुप्त हो गई। मेरी हड्डियाँ अलग हो गई हैं। मेरा साहस खत्म हो चुका है।
मैं तो पुकारता हूँ और उपवास करता हूँ, इसलिए वे मेरी हँसी उड़ाते हैं।
मैं निज शोक दर्शाने के लिए मोटे वस्रों को पहनता हूँ, और लोग मेरा मजाक उड़ाते हैं।
चालीस दिन और चालीस रात भूखा रहने के बाद जब उसे भूख बहुत सताने लगी
मैंने कड़ा परिश्रम करके थकावट से चूर हो कर जीवन जिया है। अनेक अवसरों पर मैं सो तक नहीं पाया हूँ। भूखा और प्यासा रहा हूँ। प्रायः मुझे खाने तक को नहीं मिल पाया है। बिना कपड़ों के ठण्ड में ठिठुरता रहा हूँ।
इसलिए अपनी दुर्बल बाहों और निर्बल घुटनों को सबल बनाओ।