मैं सो नहीं पाता मैं उस अकेले पक्षी सा हो गया हूँ, जो धत पर हो।
मैं जंगली कुत्तों के जैसा बन गया हूँ, मेरे मित्र बस केवल शतुर्मुर्ग ही है।
मैं अपने स्वामी की बाट जोहता हूँ। मैं उस रक्षक सा हूँ जो उषा के आने की प्रतीक्षा में लगा रहता है।
हे मेरे परमेश्वर, मैंने तुझे दिन में पुकारा किन्तु तूने उत्तर नहीं दिया, और मैं रात भर तुझे पुकाराता रहा।
क्योंकि मैं रोगी हूँ, इसलिए मेरे मित्र और मेरे पड़ोसी मुझसे मिलने नहीं आते। मेरे परिवार के लोग तो मेरे पास तक नहीं फटकते।
तू मुझे सोने नहीं देगा। मैंने जतन किया है कि मैं कुछ कह डालूँ, किन्तु मैं बहुत घबराया था।