जो पुरुष उसके साथ यात्रा कर रहे थे, अवाक् खड़े थे। उन्होंने आवाज़ तो सुनी किन्तु किसी को भी देखा नहीं।
यह दर्शन बस मुझे, दानिय्येल को ही हुआ। जो लोग मेरे साथ थे, वे यद्यपि उस दर्शन को नहीं देख पाये किन्तु वे फिर भी डर गये थे। वे इतना डर गये कि भाग कर कहीं जा छिपे।
तब वहाँ मौजूद भीड़, जिसने यह सुना था, कहने लगी कि कोई बादल गरजा है। दूसरे कहने लगे, “किसी स्वर्गदूत ने उससे बात की है।”
जो मेरे साथ थे, उन्होंने भी वह प्रकाश देखा किन्तु उस ध्वनि को जिस ने मुझे सम्बोधित किया था, वे समझ नहीं पाये।