कुछ समय पहले अपने आपको बड़ा घोषित करते हुए थियूदास प्रकट हुआ था। और कोई चार सौ लोग उसके पीछे भी हो लिये थे, पर वह मार डाला गया और उसके सभी अनुयायी तितर-बितर हो गये। परिणाम कुछ नहीं निकला।
या ‘वह रहा मसीह’ तो उसका विश्वास मत करना। मैं यह कहता हूँ क्योंकि कपटी मसीह और कपटी नबी खड़े होंगे और ऐसे ऐसे आश्चर्य चिन्ह दिखायेंगे और अदभुत काम करेंगे कि बन पड़े तो वह चुने हुओं को भी चकमा दे दें।
वहीं शमौन नाम का एक व्यक्ति हुआ करता था। वह काफी समय से उस नगर में जादू-टोना किया करता था। और सामरिया के लोगों को आश्चर्य में डालता रहता था। वह महापुरुष होने का दावा किया करता था।
किन्तु जाने माने प्रतिष्ठित लोगों से मुझे कुछ नहीं मिला। (वे कैसे भी थे, मुझे इससे कोई अंतर नहीं पड़ता। बिना किसी भेदभाव के सभी मनुष्य परमेश्वर के सामने एक जैसे हैं।) उन सम्मानित लोगों से मुझे या मेरे सुसमाचार को कोई लाभ नहीं हुआ।
ये उन्हें जो भटके हुओं से बच निकलने का अभी आरम्भ ही कर रहे हैं, अपनी व्यर्थ की अहंकारपूर्ण बातों से उनकी भौतिक वासनापूर्ण इच्छाओं को जगा कर सत् पथ से डिगा लेते हैं।
ये लोग चुगलखोर हैं और दोष ढूँढने वाले हैं। ये अपनी इच्छाओं के दास हैं तथा अपने मुँह से अहंकारपूर्ण बातें बोलते हैं। अपने लाभ के लिए ये दूसरों की चापलूसी करते हैं।
फिर मैं आत्मा से भावित हो उठा और वह दूत मुझे बीहड़ वन में ले गया जहाँ मैंने एक स्त्री को लाल रंग के एक ऐसे पशु पर बैठे देखा जो परमेश्वर के प्रति अपशब्दों से भरा था। उसके सात सिर थे और दस सींग।