फिर उसका दाहिना हाथ पकड़ कर उसने उसे उठाया। तुरन्त उसके पैरों और टखनों में जान आ गयी।
यीशु उसके पास गया और हाथ पकड़ कर उसे उठाया। तुरंत उसका ज्वर उतर गया और वह उनकी सेवा करने लगी।
उसने बच्ची का हाथ पकड़ा और कहा, “तलीता, कूमी।” (अर्थात् “छोटी बच्ची, मैं तुझसे कहता हूँ, खड़ी हो जा।”)
फिर यीशु ने लड़के को हाथ से पकड़ कर उठाया और खड़ा किया। वह खड़ा हो गया।
उसके सिर पर अपने हाथ रख दिये। और वह तुरंत सीधी खड़ी हो गयी। वह परमेश्वर की स्तुति करने लगी।
किन्तु पतरस ने कहा, “मेरे पास सोना या चाँदी तो है नहीं किन्तु जो कुछ है, मैं तुझे दे रहा हूँ। नासरी यीशु मसीह के नाम में खड़ा हो जा और चल दे।”
और वह अपने पैरों के बल उछला और चल पड़ा। वह उछलते कूदते चलता और परमेश्वर की स्तुति करता उनके साथ ही मन्दिर में गया।
“इन लोगों के साथ कैसा व्यवहार किया जाये? क्योंकि यरूशलेम में रहने वाला हर कोई जानता है कि इनके द्वारा एक उल्लेखनीय आश्चर्यकर्म किया गया है और हम उसे नकार भी नहीं सकते।
यदि आज हमसे एक लँगड़े व्यक्ति के साथ की गयी भलाई के बारे में यह पूछताछ की जा रही है कि वह अच्छा कैसे हो गया
उसे अपना हाथ देकर पतरस ने खड़ा किया और फिर संतों और विधवाओं को बुलाकर उन्हें उसे जीवित सौंप दिया।