फिर हम सरकुस जा पहुँचे जहाँ हम तीन दिन ठहरे।
सूर से जल मार्ग द्वारा यात्रा करते हुए हम पतुलिमयिस में उतरे। वहाँ भाईयों का स्वागत सत्कार करते हम उनके साथ एक दिन ठहरे।
अद्रमुत्तियुम से हम एक जहाज़ पर चढ़े जो एशिया के तटीय क्षेत्रों से हो कर जाने वाला था और समुद्र यात्रा पर निकल पड़े। थिस्सलुनीके निवासी एक मकदूनी, जिसका नाम अरिस्तर्खुस था, भी हमारे साथ था।
वहाँ से जहाज़ द्वारा हम रेगियुम पहुँचे और फिर अगले ही दिन दक्षिणी हवा चल पड़ी। सो अगले दिन हम पुतियुली आ गये।