इस धरती के लोग सचमुच बड़े नहीं हैं। परमेश्वर लोगों के साथ जो कुछ चाहता है वह करता है। स्वर्ग की शक्तियों को कोई भी रोक नहीं पाता है। उसका सशक्त हाथ जो कुछ करता है उस पर कोई प्रश्न नहीं कर सकता है।
अगली रात प्रभु ने पौलुस के निकट खड़े होकर उससे कहा, “हिम्मत रख, क्योंकि तूने जैसे दृढ़ता के साथ यरूशलेम में मेरी साक्षी दी है, वैसे ही रोम में भी तुझे मेरी साक्षी देनी है।”
यदि मैं किसी अपराध का दोषी हूँ और मैंने कुछ ऐसा किया है, जिसका दण्ड मृत्यु है तो मैं मरने से बचना नहीं चाहूँगा, किन्तु यदि ये लोग मुझ पर जो अभियोग लगा रहे हैं, उनमें कोई सत्य नहीं है तो मुझे कोई भी इन्हें नहीं सौंप सकता। यही कैसर से मेरी प्रार्थना है।”
किन्तु पौलुस ने जब प्रार्थना की कि उसे सम्राट के न्याय के लिये ही वहाँ रखा जाये, तो मैंने आदेश दिया, कि मैं जब तक उसे कैसर के पास न भिजवा दूँ, उसे यहीं रखा जाये।”
मेरी तीव्र इच्छा और आशा यही है और मुझे इसका विश्वास है कि मैं किसी भी बात से निराश नहीं होऊँगा बल्कि पूर्ण निर्भयता के साथ जैसे मेरे देह से मसीह की महिमा सदा होती रही है, वैसे ही आगे भी होती रहेगी, चाहे मैं जीऊँ और चाहे मर जाऊँ।