यहूदी आराधनालय में वह निर्भय हो कर बोलने लगा। जब प्रिस्किल्ला और अक्विला ने उसे बोलते सुना तो वे उसे एक ओर ले गये और अधिक बारीकी के साथ उसे परमेश्वर के मार्ग की व्याख्या समझाई।
किन्तु उनमें से कुछ लोग बहुत हठी थे उन्होंने विश्वास ग्रहण करने को मना कर दिया और लोगों के सामने पंथ को भला बुरा कहते रहे। सो वह अपने शिष्यों को साथ ले उन्हें छोड़ कर चला गया। और तरन्नुस की पाठशाला में हर दिन विचार विमर्श करने लगा।
“किन्तु मैं तेरे सामने यह स्वीकार करता हूँ कि मैं अपने पूर्वजों के परमेश्वर की आराधना अपने पंथ के अनुसार करता हूँ, जिसे ये एक पंथ कहते हैं। मैं हर उस बात में विश्वास करता हूँ जिसे व्यवस्था बताती है और जो नबियों के ग्रन्थों में लिखी है।
जिस किसी ने भी उसे सुना, चकित रह गया और बोला, “क्या यह वही नहीं है, जो यरूशलेम में यीशु के नाम में विश्वास रखने वालों को नष्ट करने का यत्न किया करता था। और क्या यह उन्हें यहाँ पकड़ने और प्रमुख याजकों के सामने ले जाने नहीं आया था?”
यहूदी धर्म में मैं पहले कैसे जीया करता था, उसे तुम सुन चुके हो, और तुम यह भी जानते हो कि मैंने परमेश्वर की कलीसिया पर कितना अत्याचार किया है और उसे मिटा डालने का प्रयास तक किया है।