इस दिव्यदर्शन को देखने के बाद तुरन्त ही यह परिणाम निकालते हुए कि परमेश्वर ने उन लोगों के बीच सुसमाचार का प्रचार करने हमें बुलाया है, हमने मकिदुनिया जाने की ठान ली।
फिर सब्त के दिन यह सोचते हुए कि प्रार्थना करने के लिये वहाँ कोई स्थान होगा हम नगर-द्वार के बाहर नदी पर गये। हम वहाँ बैठ गये और एकत्र स्त्रियों से बातचीत करने लगे।
फिर ऐसा हुआ कि जब हम प्रार्थना स्थल की ओर जा रहे थे, हमें एक दासी मिली जिसमें एक शकुन बताने वाली आत्मा समायी थी। वह लोगों का भाग्य बता कर अपने स्वामियों को बहुत सा धन कमा कर देती थी।
फिर सेनापति ने अपने दो सेनानायकों को बुलाकर कहा, “दो सौ सैनिकों, सत्तर घुड़सवारों और सौ भालैतों को कैसरिया जाने के लिये तैयार रखो। रात के तीसरे पहर चल पड़ने के लिये तैयार रहना।
इस सुझाव से सारी मण्डली बहुत प्रसन्न हुई। (सो उन्होंने विश्वास और पवित्र आत्मा से युक्त) स्तिफनुस नाम के व्यक्ति को और फिलिप्पुस, प्रखुरूप, नीकानोर, तिमोन, परमिनास और (अन्ताकिया के निकुलाऊस को, जिसने यहूदी धर्म अपना लिया था,) चुन लिया।
उसने स्वयं ही कुछ को प्रेरित होने का वरदान दिया तो कुछ को नबी होने का तो कुछ को सुसमाचार के प्रचारक होने का तो कुछ को परमेश्वर के जनों की सुरक्षा और शिक्षा का।