वह वहाँ तीन महीने ठहरा और क्योंकि यहूदियों ने उसके विरुद्ध एक षड्यन्त्र रच रखा था। सो जब वह जल मार्ग से सीरिया जाने को ही था कि उसने निश्चय किया कि वह मकिदुनिया को लौट जाये।
पहले महीने के बारहवें दिन हम लोगों ने अहवा नदी को छोड़ा और हम यरूशलेम की ओर चल पड़े। परमेश्वर हम लोगों के साथ था और उसने हमरी रक्षा शत्रओं और डाकुओं से पूरे मार्ग भर की।
मेरे लोगों के बीच पापी लोग हैं। वे पापी लोग पक्षियों को फँसाने के लिये जाल बनाने वालों के समान हैं। वे लोग अपना जाल बिछाते हैं, किन्तु वे पक्षी के बदले मनुष्यों को फँसाते हैं।
समस्त सीरिया देश में उसका समाचार फैल गया। इसलिये लोग ऐसे सभी व्यक्तियों को जो संतापी थे, या तरह तरह की बीमारियों और वेदनाओं से पीड़ित थे, जिन पर दुष्टात्माएँ सवार थीं, जिन्हें मिर्गी आती थी और जो लकवे के मारे थे, उसके पास लाने लगे। यीशु ने उन्हें चंगा किया।
बहुत दिनों बाद तक पौलुस वहाँ ठहरा रहा। फिर भाइयों से विदा लेकर वह नाव के रास्ते सीरिया को चल पड़ा। उसके साथ प्रिसकिल्ला तथा अक्विला भी थे। पौलुस ने किंखिया में अपने केश उतरवाये क्योंकि उसने एक मन्नत मानी थी।