जोर से पुकारो, जितना तुम पुकार सको! अपने को मत रोको! जोर से पुकारो जैसे नरसिंगा गरजता है! लोगों को उनके बुरे कामों के बारे में जो उन्होंने किये हैं, बताओ! याकूब के घराने को उनके पापों के बारे में बताओ!
“यिर्मयाह, जहाँ तक तुम्हारी बात है, उठो। तैयार हो जाओ! उठो और लोगों को सन्देश दो। वह सब कुछ लोगों से कहो जो मैं कहने को कहूँ। लोगों से मत डरो। यदि तुम लोगों से डरे तो मैं उनसे डरने का अच्छा कारण तुम्हें दे दूँगा।
किन्तु यहोवा की आत्मा ने मुझको शक्ति, नेकी, और सामर्थ्य से भर दिया था। मैं याकूब को उसके पाप बतलाऊँगा। हाँ, मैं इस्राएल को उसके पापों के विषय में कहूँगा!
अगली रात प्रभु ने पौलुस के निकट खड़े होकर उससे कहा, “हिम्मत रख, क्योंकि तूने जैसे दृढ़ता के साथ यरूशलेम में मेरी साक्षी दी है, वैसे ही रोम में भी तुझे मेरी साक्षी देनी है।”
क्या मैं स्वतन्त्र नहीं हूँ? क्या मैं भी एक प्रेरित नहीं हूँ? क्या मैंने हमारे प्रभु यीशु मसीह के दर्शन नहीं किये हैं? क्या तुम लोग प्रभु में मेरे ही कर्म का परिणाम नहीं हो?
तुम जानते हो कि फिलिप्पी में यातनाएँ झेलने और दुर्व्यवहार सहने के बाद भी परमेश्वर की सहायता से हमें कड़े विरोध के रहते हुए भी परमेश्वर के सुसमाचार को सुनाने का साहस प्राप्त हुआ।