हिजकिय्याह तुम्हें मूर्ख बना रहा है। तुम्हें यरूशलेम में ठहरे रखने के लिये धोखा दिया जा रहा है। इस प्रकार तुम भूख—प्यास से मर जाओगे। हिजकिय्याह तुमसे कहता है, “यहोवा, हमारा परमेश्वर हमें अश्शूर के राजा से बचायेगा।”
इसके बाद यहूदी नेता आपस में बात करने लगे, “यह कहाँ जाने वाला है जहाँ हम इसे नहीं ढूँढ पायेंगे। शायद यह वहीं तो नहीं जा रहा है जहाँ हमारे लोग यूनानी नगरों में तितर-बितर हो कर रहते हैं। क्या यह यूनानियों में उपदेश देगा?
इसी प्रकार पौलुस और बरनाबास इकुनियुम में यहूदी आराधनालय में गये। वहाँ उन्होंने इस ढंग से व्याख्यान दिया कि यहूदियों के एक विशाल जनसमूह ने विश्वास धारण किया।
ये लोग थिस्सुलुनिके के लोगों से अधिक अच्छे थे। इन लोगों ने पूरा मन लगाकर वचन को सुना और हर दिन शास्त्रों को उलटते पलटते यह जाँचते रहे कि पौलुस ने जो बातें बतायी हैं, क्या वे सत्य हैं।
इसलिए हर दिन वह यहूदी आराधनालय में यहूदियों और यूनानी भक्तों से वाद-विवाद करता रहता था। वहाँ हाट-बाजार में जो कोई होता वह उससे भी हर दिन बहस करता रहता।
तुम देख सकते हो और सुन सकते हो कि इस पौलुस ने न केवल इफिसुस में बल्कि लगभग एशिया के समूचे क्षेत्र में लोगों को बहका फुसला कर बदल दिया है। वह कहता है कि मनुष्य के हाथों के बनाये देवता सच्चे देवता नहीं है।
फिर पौलुस यहूदी आराधनालय में चला गया और तीन महीने निडर होकर बोलता रहा। वह यहूदियों के साथ बहस करते हुए उन्हें परमेश्वर के राज्य के विषय में समझाया करता था।
सो उन्होंने उसके साथ एक दिन निश्चित किया। और फिर जहाँ वह ठहरा था, बड़ी संख्या में आकार वे लोग एकत्र हो गये। मूसा की व्यवस्था और नबियों के ग्रंथों से यीशु के विषय में उन्हें समझाने का जतन करते हुए उसने परमेश्वर के राज्य के बारे में अपनी साक्षी दी और समझाया। वह सुबह से शाम तक इसी में लगा रहा।
इसलिए प्रभु से डरते हुए हम सत्य को ग्रहण करने के लिये लोगों को समझाते-बुझाते हैं। हमारे और परमेश्वर के बीच कोई पर्दा नहीं है। और मुझे आशा है कि तुम भी हमें पूरी तरह जानते हो।