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क्रॉस रेफरेंस
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प्रेरितों के काम 18:21

पवित्र बाइबल

किन्तु जाते समय उसने कहा, “यदि परमेश्वर की इच्छा हुई तो मैं तुम्हारे पास फिर आऊँगा।” फिर उसने इफिसुस से नाव द्वारा यात्रा की।

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28 क्रॉस रेफरेंस  

फिर थोड़ा आगे बढ़ने के बाद वह धरती पर झुक कर प्रार्थना करने लगा। उसने कहा, “हे मेरे परम पिता यदि हो सके तो यातना का यह प्याला मुझसे टल जाये। फिर भी जैसा मैं चाहता हूँ वैसा नहीं बल्कि जैसा तू चाहता है वैसा ही कर।”

उन्हें बिदा करके, प्रार्थना करने के लिये वह पहाड़ी पर चला गया।

फिर किसी और ने भी कहा, “हे प्रभु, मैं तेरे पीछे चलूँगा किन्तु पहले मुझे अपने घर वालों से विदा ले आने दे।”

मूर्तियों पर चढ़ाया गया भोजन तुम्हें नहीं लेना चाहिये। गला घोंट कर मारे गये किसी भी पशु का मांस खाने से बचें और लहू को कभी न खायें। व्यभिचार से बचे रहो। यदि तुम ने अपने आपको इन बातों से बचाये रखा तो तुम्हारा कल्याण होगा। अच्छा विदा।

फिर वे इफिसुस पहुँचे और पौलुस ने प्रिसकिल्ला और अक्विला को वहीं छोड़ दिया। और आप आराधनालय में जाकर यहूदियों के साथ बहस करने लगा।

जब वहाँ के लोगों ने उससे कुछ दिन और ठहरने को कहा तो उसने मना कर दिया।

वहीं अपुल्लोस नाम का एक यहूदी था। वह सिकंदरिया का निवासी था। वह विद्वान वक्ता था। वह इफिसुस में आया। शास्त्रों का उसे सम्पूर्ण ज्ञान था।

ऐसा हुआ कि जब अपुल्लोस कुरिन्थुस में था तभी पौलुस भीतरी प्रदेशों से यात्रा करता हुआ इफिसुस में आ पहुँचा। वहाँ उसे कुछ शिष्य मिले।

इफिसुस में रहने वाले सभी यहूदियों और यूनानियों को इस बात का पता चल गया। वे सब लोग बहुत डर गये थे। इस प्रकार प्रभु यीशु के नाम का आदर और अधिक बढ़ गया।

इन घटनाओं के बाद पौलुस ने अपने मन में मकिदुनिया और अखाया होते हुए यरूशलेम जाने का निश्चय किया। उसने कहा, “वहाँ जाने के बाद मुझे रोम भी देखना चाहिए।”

क्योंकि पौलुस जहाँ तक हो सके पिन्तेकुस्त के दिन तक यरूशलेम पहुँचने की जल्दी कर रहा था, सो उसने निश्चय किया कि वह इफ़िसुस में रुके बिना आगे चला जायेगा जिससे उसे एशिया में समय न बिताना पड़े।

क्योंकि हम उसे मना नहीं पाये। सो बस इतना कह कर चुप हो गये, “जैसी प्रभु की इच्छा।”

(उन्होंने ऐसा इसलिये कहा था कि त्रुफिमुस नाम के एक इफिसी को नगर में उन्होंने उसके साथ देखकर ऐसा समझा था कि पौलुस उसे मन्दिर में ले गया है।)

अपनी प्रार्थनाओं में मैं सदा ही विनती करता रहता हूँ कि परमेश्वर की इच्छा से तुम्हारे पास आने की मेरी यात्रा किसी तरह पूरी हो।

ताकि परमेश्वर की इच्छा के अनुसार मैं प्रसन्नता के साथ तुम्हारे पास आकर तुम्हारे साथ आनन्द मना सकूँ।

यदि मैं इफ्रिसुस में जंगली पशुओं के साथ मानवीय स्तर पर ही लड़ा था तो उससे मुझे क्या मिला। यदि मरे हुए जिलाये नहीं जाते, “तो आओ, खायें, पीएँ (मौज मनायें) क्योंकि कल तो मर ही जाना है।”

मैं यह तो नहीं चाहता कि वहाँ से जाते जाते ही बस तुमसे मिल लूँ बल्कि मुझे तो आशा है कि मैं यदि प्रभु ने चाहा तो कुछ समय तुम्हारे साथ रहूँगा भी।

मैं पिन्तेकुस्त के उत्सव तक इफिसुस में ही ठहरूँगा।

अस्तु यदि परमेश्वर ने चाहा तो शीघ्र ही मैं तुम्हारे पास आऊँगा और फिर अहंकार में फूले उन लोगों की मात्र वाचालता को नहीं बल्कि उनकी शक्ति को देख लूँगा।

अब हे भाईयों, मैं तुमसे विदा लेता हूँ। अपने आचरण ठीक रखो। वैसा ही करते रहो जैसा करने को मैंने कहा है। एक जैसा सोचो। शांतिपूर्वक रहो। जिससे प्रेम और शांति का परमेश्वर तुम्हारे साथ रहेगा।

पौलुस की ओर से, जो परमेश्वर की इच्छा से यीशु मसीह का एक प्रेरित है, इफिसुस के रहने वाले संत जनों और मसीह यीशु में विश्वास रखने वालों के नाम:

“यहोवा अपने परमेश्वर का फसह पर्व आबीब के महीने में मनाओ। क्यों? क्योंकि आबीब के महीने में तुम्हारा परमेश्वर तुम्हें रात में मिस्र से बाहर ले आया था।

और यदि परमेश्वर ने चाहा तो हम ऐसा ही करेंगे।

सो इसके स्थान पर तुम्हें तो सदा यही कहना चाहिए, “यदि प्रभु ने चाहा तो हम जीयेंगे और यह या वह करेंगे।”

यदि परमेश्वर की इच्छा यही है कि तुम दुःख उठाओ तो उत्तम कार्य करते हुए दुःख झेलो न कि बुरे काम करते हुए।

वह कह रही थी, “जो कुछ तू देख रहा है, उसे एक पुस्तक में लिखता जा और फिर उसे इफिसुस, स्मुरना, पिरगमुन, थूआतीरा, सरदीस, फिलादेलफिया और लौदीकिया की सातों कलीसियाओं को भेज दे।”

“इफिसुस की कलीसिया के स्वर्गदूत के नाम यह लिख: “वह जो अपने दाहिने हाथ में सात तारों को धारण करता है तथा जो सात दीपाधारों के बीच विचरण करता है; इस प्रकार कहता है:




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