किन्तु वे परमेश्वर से सहायता नहीं माँगते। वे नही कहते हैं कि, ‘परमेश्वर जिसने हम को रचा है वह कहाँ है? परमेश्वर जो हताश जन को आशा दिया करता है वह कहाँ है?’
उस समय, तुम खुशी के गीत गाओगे। वह समय उन रातों के जैसा होगा जब तुम अपने उत्सव मनाना शुरु करते हो। तुम उन व्यक्तियों के समान प्रसन्न होओगे जो इस्राएल की चट्टान यहोवा के पर्वत पर जाते समय बांसुरी को सुनते हुए प्रसन्न होते हैं।
अत: यहोशू, तुम्हें और तुम्हारे साथ के लोगों को मेरी बातें सुननी होंगी। तुम महायाजक हो, और तम्हारे साथ के लोग दूसरों के समक्ष एक अच्छा उदाहरण प्रस्तुत कर सकते हैं और मैं सच ही, अपने विशेष सेवक को लाऊँगा, उसे शाख कहते हैं।
फिर प्रेरितों और बुजुर्गों ने समूचे कलीसिया के साथ यह निश्चय किया कि उन्हीं में से कुछ लोगों को चुनकर पौलुस और बरनाबास के साथ अन्ताकिया भेजा जाये। सो उन्होंने बरसब्बा कहे जाने वाले यहूदा और सिलास को चुन लिया। वे भाइयों में सर्व प्रमुख थे।
फिर उसके स्वामियों ने जब देखा कि उनकी कमाई की आशा पर ही पानी फिर गया है तो उन्होंने पौलुस और सिलास को धर दबोचा और उन्हें घसीटते हुए बाजार के बीच अधिकारियों के सामने ले गये।
हमें शोक से व्याकुल समझा जाता है, जबकि हम तो सदा ही प्रसन्न रहते हैं। हम दीन-हीनों के रूप में जाने जाते हैं, जबकि हम बहुतों को वैभवशाली बना रहे हैं। लोग समझते हैं हमारे पास कुछ नहीं है, जबकि हमारे पास तो सब कुछ है।
तुम्हारा विश्वास एक बलि के रूप में है और यदि मेरा लहू तुम्हारी बलि पर दाखमधु के समान उँडेल दिया भी जाये तो मुझे प्रसन्नता है। तुम्हारी प्रसन्नता में मेरा भी सहभाग है।
अब देखो, मैं तुम्हारे लिये जो कष्ट उठाता हूँ, उनमें आनन्द का अनुभव करता हूँ और मसीह की देह, अर्थात् कलीसिया के लिये मसीह की यातनाओं में जो कुछ कमी रह गयी थी, उसे अपने शरीर में पूरा करता हूँ।
यीशु ने इस धरती पर के जीवनकाल में जो उसे मृत्यु से बचा सकता था, ऊँचे स्वर में पुकारते हुए और रोते हुए उससे प्रार्थनाएँ तथा विनतियाँ की थीं और आदरपूर्ण समर्पण के कारण उसकी सुनी गयी।
यदि मसीह के नाम पर तुम अपमानित होते हो तो उस अपमान को सहन करो क्योंकि तुम मसीह के अनुयायी हो, तुम धन्य हो क्योंकि परमेश्वर की महिमावान आत्मा तुममें निवास करती है।