लूले—लंगड़े लोग हिरन की तरह नाचने लगेंगे और ऐसे लोग जो अभी गूंगे हैं, प्रसन्न गीत गाने में अपनी वाणी का उपयोग करने लगेंगे। ऐसा उस समय होगा जब मरूभूमि में पानी के झरने बहने लगेंगे। सूखी धरती पर झरने बह चलेंगे।
“मैं तुम्हें सत्य कहता हूँ, जो मुझमें विश्वास करता है, वह भी उन कार्यों को करेगा जिन्हें मैं करता हूँ। वास्तव में वह इन कामों से भी बड़े काम करेगा। क्योंकि मैं परम पिता के पास जा रहा हूँ।
किन्तु वह जो उस जल को पियेगा, जिसे मैं दूँगा, फिर कभी प्यासा नहीं रहेगा। बल्कि मेरा दिया हुआ जल उसके अन्तर में एक पानी के झरने का रूप ले लेगा जो उमड़-घुमड़ कर उसे अनन्त जीवन प्रदान करेगा।”