पहरेदार ने कहा, “मुझे लगता है कि पहला व्यक्ति सादोक का पुत्र अहीमास की तरह दौड़ रहा है।” राजा ने कहा, “अहीमास अच्छा आदमी है। वह अच्छी सूचना ला रहा होगा।”
एक अच्छा व्यक्ति जो अच्छाई उसके मन में इकट्ठी है, उसी में से अच्छी बातें निकालता है। जबकि एक बुरा व्यक्ति जो बुराई उसके मन में है, उसी में से बुरी बातें निकालता है।
यीशु ने उससे कहा, “अच्छा क्या है, इसके बारे में तू मुझसे क्यों पूछ रहा है? क्योंकि अच्छा तो केवल एक ही है! फिर भी यदि तू अनन्त जीवन में प्रवेश करना चाहता है, तो तू आदेशों का पालन कर।”
अब वहीं यूसुफ नाम का एक पुरुष था जो यहूदी महासभा का एक सदस्य था। वह एक अच्छा धर्मी पुरुष था। वह उनके निर्णय और उसे काम में लाने के लिये सहमत नहीं था। वह यहूदियों के एक नगर अरमतियाह का निवासी था। वह परमेश्वर के राज्य की बाट जोहा करता था।
यीशु के बारे में छिपे-छिपे उस भीड़ में तरह-तरह की बातें हो रही थीं। कुछ कह रहे थे, “वह अच्छा व्यक्ति है।” पर दूसरों ने कहा, “नहीं, वह लोगों को भटकाता है।”
इस सुझाव से सारी मण्डली बहुत प्रसन्न हुई। (सो उन्होंने विश्वास और पवित्र आत्मा से युक्त) स्तिफनुस नाम के व्यक्ति को और फिलिप्पुस, प्रखुरूप, नीकानोर, तिमोन, परमिनास और (अन्ताकिया के निकुलाऊस को, जिसने यहूदी धर्म अपना लिया था,) चुन लिया।
इस प्रकार समूचे यहूदिया, गलील और सामरिया के कलीसिया का वह समय शांति से बीता। वह कलीसिया और अधिक शक्तिशाली होने लगी। क्योंकि वह प्रभु से डर कर अपना जीवन व्यतीत करती थी, और पवित्र आत्मा ने उसे और अधिक प्रोत्साहित किया था सो उसकी संख्या बढ़ने लगी।
किन्तु तुम्हें फिर से याद दिलाने के लिये मैंने कुछ विषयों के बारे में साफ साफ लिखा है। मैंने परमेश्वर का जो अनुग्रह मुझे मिला है, उसके कारण यह किया है।