मेरे पास आ और मेरी सुन! मैंने आरम्भ में साफ—साफ बोला ताकि लोग मुझे सुन ले और मैं उस समय वहाँ पर था जब बाबुल की नींव पड़ी।” इस पर यशायाह ने कहा, अब देखो, मेरे स्वामी यहोवा ने इन बातों को तुम्हें बताने के लिये मुझे और अपनी आत्मा को भेजा है।
किन्तु प्रभु ने उससे कहा, “तू जा क्योंकि इस व्यक्ति को विधर्मियों, राजाओं और इस्राएल के लोगों के सामने मेरा नाम लेने के लिये, एक साधन के रूप में मैंने चुना है।
सो हनन्याह चल पड़ा और उस घर के भीतर पहुँचा और शाऊल पर उसने अपने हाथ रख दिये और कहा, “भाई शाऊल, प्रभु यीशु ने मुझे भेजा है, जो तेरे मार्ग में तेरे सम्मुख प्रकट हुआ था ताकि तू फिर से देख सके और पवित्र आत्मा से भावित हो जाये।”
बस विश्वास के साथ माँगा जाए। थोड़ा सा भी संदेह नहीं होना चाहिए। क्योंकि जिसको संदेह होता है, वह सागर की उस लहर के समान है जो हवा से उठती है और थरथराती है।