“मैं तुम्हें सत्य कहता हूँ, जो मुझमें विश्वास करता है, वह भी उन कार्यों को करेगा जिन्हें मैं करता हूँ। वास्तव में वह इन कामों से भी बड़े काम करेगा। क्योंकि मैं परम पिता के पास जा रहा हूँ।
इस तरह यह बात भाईयों में यहाँ तक फैल गयी कि वह शिष्य नहीं मरेगा। यीशु ने यह नहीं कहा था कि वह नहीं मरेगा। बल्कि यह कहा था, “यदि मैं यह चाहूँ कि जब तक मैं आऊँ, यह यहीं रहे, तो तुझे क्या?”
इस पर पतरस ने उन्हें भीतर बुला लिया और ठहरने को स्थान दिया। फिर अगले दिन तैयार होकर वह उनके साथ चला गया। और याफा के निवासी कुछ अन्य बन्धु भी उसके साथ हो लिये।
फिर वह उसे ढूँढ कर अन्ताकिया ले आया। सारे साल वे कलीसिया से मिलते जुलते और विशाल जनसमूह को उपदेश देते रहे। अन्ताकिया में सबसे पहले इन्हीं शिष्यों को “मसीही” कहा गया।
उन्हें हाथ से चुप रहने का संकेत करते हुए उसने खोलकर बताया कि प्रभु ने उसे जेल से कैसे बाहर निकाला है। उसने कहा, “याकूब तथा अन्य बन्धुओं को इस विषय में बता देना।” और तब वह उस स्थान को छोड़कर किसी दूसरे स्थान को चला गया।
वे कलीसिया के द्वारा भेजे जाकर फीनीके और सामरिया होते हुए सभी भाइयों को अधर्मियों के हृदय परिवर्तन का विस्तार के साथ समाचार सुनाकर उन्हें हर्षित कर रहे थे।
किन्तु जब वे उन्हें नहीं पा सके तो यासोन को और कुछ दूसरे बन्धुओं को नगर अधिकारियों के सामने घसीट लाये। वे चिल्लाये, “ये लोग जिन्होंने सारी दुनिया में उथल पुथल मचा रखी है, अब यहाँ आये हैं।
बहुत दिनों बाद तक पौलुस वहाँ ठहरा रहा। फिर भाइयों से विदा लेकर वह नाव के रास्ते सीरिया को चल पड़ा। उसके साथ प्रिसकिल्ला तथा अक्विला भी थे। पौलुस ने किंखिया में अपने केश उतरवाये क्योंकि उसने एक मन्नत मानी थी।
सो जब उसने अखाया को जाना चाहा तो भाइयों ने उसका साहस बढ़ाया और वहाँ के अनुयायिओं को उसका स्वागत करने को लिख भेजा। जब वह वहाँ पहुँचा तो उनके लिये बड़ा सहायक सिद्ध हुआ जिन्होंने परमेश्वर के अनुग्रह से विश्वास ग्रहण कर लिया था।
जब उन्होंने यह सुना तो वे परमेश्वर की स्तुति करते हुए उससे बोले, “बंधु तुम तो देख ही रहे हो यहाँ कितने ही हज़ारों यहूदी ऐसे हैं जिन्होंने विश्वास ग्रहण कर लिया है। किन्तु वे सभी व्यवस्था के प्रति अत्यधिक उत्साहित हैं।
“स्वयं महायाजक और बुजुर्गों की समूची सभा इसे प्रमाणित कर सकती है। मैंने दमिश्क में इनके भाइयों के नाम इनसे पत्र भी लिया था और इस पंथ के वहाँ रह रहे लोगों को पकड़ कर बंदी के रूप में यरूशलेम लाने के लिये मैं गया भी था ताकि उन्हें दण्ड दिलाया जा सके।
ठीक उसी क्षण वहाँ एक भारी भूचाल आया और नगर का दसवाँ भाग ढह गया। भूचाल में सात हज़ार लोग मारे गए तथा जो लोग बचे थे, वे भयभीत हो उठे और वे स्वर्ग के परमेश्वर की महिमा का बखान करने लगे।
“कुछ भी हो सरदीस में तेरे पास कुछ ऐसे लोग हैं जिन्होंने अपने को अशुद्ध नहीं किया है। वे श्वेत वस्त्र धारण किए हुए मेरे साथ-साथ घूमेंगे क्योंकि वे सुयोग्य हैं।